पटना
बिहार में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन के संकेत देते हुए, श्री रमेश सिंह ने TWM न्यूज से बातचीत में कहा कि प्रशांत किशोर जी की पदयात्रा ने राज्य में एक नई राजनीतिक सोच की नींव रखी है। श्री सिंह ने बताया कि महात्मा गांधी, राम मनोहर लोहिया, और जयप्रकाश नारायण के आदर्शों पर आधारित ‘जन सुराज’ का सपना अब साकार होता दिख रहा है। प्रशांत किशोर जी की यह यात्रा केवल पदचिह्न नहीं, बल्कि जनाकांक्षाओं की प्रतिध्वनि है, जो बिहार में व्यापक बदलाव का आह्वान कर रही है।
श्री सिंह ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “राजनीति में धन और बाहुबल का वर्चस्व बढ़ता गया है, जिससे लोकतंत्र की जड़े कमजोर हो रही हैं। सत्ता का स्वरूप एक व्यापारीक धंधे में बदलता जा रहा है, और आज राजनीति सामाजिक हित के बजाय व्यक्तिगत लाभ तक सीमित हो गई है।” उन्होंने यह भी कहा कि 1990 से 2005 के बीच परिवारवाद का दौर देखा गया और 2005 से अब तक सत्ता में रहे नेताओं ने इसे केवल वंशवादी राजनीति के रूप में आगे बढ़ाया है।
“बिहार को चाहिए भरोसे की राजनीति”
श्री सिंह के अनुसार, प्रशांत किशोर जी का नेतृत्व बिहार में एक नई लहर ला रहा है। “वह राजनीति के व्यापारी नहीं, बल्कि भरोसे के व्यापारी हैं। उनकी राजनीति का उद्देश्य बिहार के प्रत्येक नागरिक का उत्थान करना है। जो नेता केवल विरासत में सत्ता पाते हैं, उन्हें जनता के वास्तविक मुद्दों से कोई सरोकार नहीं होता।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि प्रशांत किशोर जी का आंदोलन किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं, बल्कि उस व्यवस्था के खिलाफ है जो समाज को जाति-पाति और वर्गों में बाँटती आई है।
“सामाजिक एकता से ही आएगा परिवर्तन”
श्री सिंह ने समाज में फैले ऊँच-नीच और भेदभाव की बात करते हुए कहा कि बिहार के विकास के लिए लोगों को संगठित होकर आगे आना होगा। “ऊँच वही है जिसके विचार ऊँचे हैं, जिसका दिल समर्पण से भरा है और जो समाज की भलाई के लिए तत्पर है। प्रशांत किशोर जी की सोच में यह सभी गुण शामिल हैं, और उनके नेतृत्व में ही हम बिहार को एक नई दिशा देने की उम्मीद रखते हैं।”
श्री रमेश सिंह ने अंत में आशा व्यक्त की कि बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों में प्रशांत किशोर जी का प्रयास निश्चित रूप से जनता को एक नई दिशा देगा और बिहार को सही मायनों में जनसुराज की ओर ले जाएगा।