दहेज में ‘दुपहिया’ की मांग, चोरी ने पलट दी कहानी
गांव की राजनीति, हास्य और सामाजिक संदेश के ताने-बाने में बुनी दिलचस्प वेब सीरीज
बिहार के गांवों में दहेज प्रथा का असर आज भी बरकरार है, जहां शादी-ब्याह के फैसले अक्सर ‘दहेज की दर’ पर तय होते हैं। दहेज प्रथा पर व्यंग्य और हास्य के रंग से सजी अमेज़न प्राइम वीडियो की नई वेब सीरीज ‘दुपहिया’ ने दर्शकों का ध्यान खींच लिया है। यह सीरीज बिहार के एक गांव की कहानी दिखाती है, जहां शादी में दहेज की मांग और उससे जुड़े विवाद में दिलचस्प मोड़ आता है।
सीरीज की कहानी धड़कपुर गांव के बनवारी झा (गजराज राव) और उनकी बेटी रौशनी (शिवानी रघुवंशी) के इर्द-गिर्द घूमती है। बनवारी अपनी बेटी की शादी करवाना चाहता है, लेकिन लड़के वाले दहेज में मोटरसाइकिल और उसका पेट्रोल खर्च मांग बैठते हैं। किसी तरह बनवारी झा बाइक खरीद भी लेते हैं, लेकिन शादी से पहले ही वह चोरी हो जाती है।
गांव, जो 24 सालों से ‘क्राइम फ्री’ का तमगा लिए हुए है, इस चोरी से हिल जाता है। पंचायत की मुखिया पुश्पलता यादव (रेणुका शहाणे) चाहती हैं कि पुलिस में कोई शिकायत दर्ज न हो, ताकि गांव का रिकॉर्ड न टूटे। इधर, लड़का कुबेर (अविनाश द्विवेदी) बिना बाइक शादी से इनकार कर देता है। ऐसे में बनवारी झा अपनी बेटी की शादी बचाने के लिए हर हाल में दुपहिया वापस लाने की कोशिश में जुट जाता है।
इस पूरे घटनाक्रम में हास्य, राजनीति और समाज का ताना-बाना बड़ी खूबसूरती से बुना गया है। निर्देशक ने दहेज प्रथा के कड़वे सच को कॉमेडी के माध्यम से उजागर किया है। अगर आप सामाजिक व्यंग्य और हास्य पसंद करते हैं, तो ‘दुपहिया’ को जरूर देख सकते हैं।
दुपहिया’ देखना जरूरी है कि नहीं?
अगर आपको बिहार की संस्कृति, राजनीति और हास्य का देसी तड़का पसंद है, तो ‘दुपहिया’ को जरूर देखिए। सीरीज यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि आखिर शादी में दहेज की यह परंपरा कब टूटेगी, लेकिन इसे पेश करने का अंदाज इतना मजेदार है कि दर्शक हर दृश्य पर मुस्कुराने से खुद को रोक नहीं पाएंगे।
रिपोर्ट: निहाल देव दत्ता