बीजेपी ने की विशेष चर्चा की मांग
विपक्ष का आरोप – राज्य में बिगड़ रही कानून-व्यवस्था, सरकार ने अपनाई तुष्टिकरण की नीति
रांची। झारखंड विधानसभा में मंगलवार को गिरिडीह में होली जुलूस के दौरान हुई हिंसा को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायकों ने कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरा और विशेष चर्चा की मांग करते हुए सदन में नारेबाजी की। हंगामे के चलते विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो को बार-बार सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने की अपील करनी पड़ी, लेकिन नारेबाजी जारी रहने पर उन्हें सत्र को दोपहर तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
मार्च 14 की घटना पर विपक्ष का हमला
होली अवकाश के बाद जब विधानसभा सुबह 11 बजे दोबारा बुलाई गई, तो नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने गिरिडीह हिंसा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि 14 मार्च को हुई इस घटना में कई लोग घायल हो गए थे और दुकानों तथा वाहनों में आगजनी की गई थी। मरांडी ने सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि घटना के वक्त प्रशासन मूकदर्शक बना रहा।
उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने 80 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और 22 लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन कार्रवाई में पक्षपात बरता गया। मरांडी ने कहा, “वास्तविक दोषियों पर कार्रवाई करने की बजाय पुलिस ने एक खास समुदाय को निशाना बनाया।” उन्होंने राम नवमी और ईद जैसे आगामी त्योहारों का हवाला देते हुए राज्य में कानून-व्यवस्था पर चिंता जताई और सदन में विशेष चर्चा की मांग की।
सत्तापक्ष का पलटवार, बीजेपी पर भड़काने का आरोप
वहीं, कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी इस मामले को सांप्रदायिक रंग देकर समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रही है। झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार ने भी मरांडी पर एकतरफा आरोप लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “बीजेपी राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर रही है।”
इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर अनियंत्रित बहस की बजाय गृह विभाग के अनुदान मांग पर चर्चा के दौरान विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस तरह के संवेदनशील मामलों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
हंगामे के बीच अन्य कार्यवाही भी प्रभावित
हालांकि, हंगामे के बावजूद सदन की कार्यवाही दोपहर बाद दोबारा शुरू हुई और अन्य निर्धारित एजेंडे पर चर्चा हुई। लेकिन गिरिडीह हिंसा को लेकर हुए हंगामे ने प्रश्नकाल की कार्यवाही को बुरी तरह प्रभावित कर दिया।