एक और रंग भी देखिये बंगाल का : राम नवमी से बदलती सियासत की तस्वीर

राम रंग में रंगा बंगाल : क्या बदलेगा चुनावी गणित?

कोलकाता

राम नवमी के पावन अवसर पर इस बार पश्चिम बंगाल की धरती पर अद्भुत नजारा देखने को मिला। पूरे राज्य में saffron यानी भगवा रंग की छटा बिखरी रही। कोलकाता से लेकर कूचबिहार, जलपाईगुड़ी से लेकर मालदा और यहां तक कि वामपंथी गढ़ माने जाने वाले जादवपुर विश्वविद्यालय तक, हर कोना राममय नजर आया।

बंगाली हिंदुओं ने बड़े उल्लास, शोभायात्राओं और भजन-कीर्तन के साथ इस बार राम नवमी मनाई। पारंपरिक परिधानों में हजारों की संख्या में लोगों ने सड़कों पर निकलकर राम के जयकारे लगाए। विशेष बात यह रही कि जिन स्थानों को अब तक वाम विचारधारा का मजबूत गढ़ माना जाता था, वहीं अब राम नवमी का भव्य आयोजन हुआ।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह धार्मिक उत्सव केवल आस्था तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। अगले वर्ष संभावित विधानसभा चुनाव को देखते हुए सवाल उठने लगे हैं—क्या बंगाल में हिंदू वोटर अब एकतरफा रुख अपनाने को तैयार हैं?

राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यदि भगवा लहर इसी तरह बनी रही, तो इससे बीजेपी को स्पष्ट लाभ मिल सकता है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस भी इस बदलते जनभावना को समझने में जुटी हुई है।

गौरतलब है कि हाल के वर्षों में बंगाल की राजनीति में धार्मिक आयोजनों की बढ़ती भूमिका देखी जा रही है। दुर्गापूजा से लेकर राम नवमी तक अब महज त्योहार नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश बनते जा रहे हैं।

जादवपुर विश्वविद्यालय में पहली बार राम नवमी का आयोजन

राजनीतिक सोच में बदलाव की बानगी

बंगाल की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ तब दिखा जब वाम विचारधारा के प्रमुख केंद्र जादवपुर विश्वविद्यालय में पहली बार राम नवमी का आयोजन हुआ। यह आयोजन प्रतीक बना उस बदलाव का, जो बंगाल की मानसिकता में धीरे-धीरे आकार ले रहा है।

अब देखना यह होगा कि यह सांस्कृतिक परिवर्तन अगले चुनावी रणभूमि में किसे कितना लाभ पहुंचाता है। क्या भगवा रंग में डूबा बंगाल आने वाले समय में राजनीतिक नतीजों को भी उसी रंग में रंग देगा?

 

रिपोर्ट :

निहाल कुमार दत्ता

 

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