नेटफ्लिक्स की नई कोरियन थ्रिलर ‘कर्मा’ ने मचाई धूम,

कर्म के सिद्धांत पर आधारित कहानी बनी चर्चा का विषय
छह एपिसोड की इस सीरीज़ में जुड़ी हैं छह अजनबियों की जिंदगियां, एक अपराध और उसके दूरगामी परिणाम

 मनोरंजन डेस्क।
नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज़ हुई कोरियन थ्रिलर सीरीज़ ‘कर्मा’ ने दर्शकों को न केवल मनोरंजन किया है, बल्कि उन्हें आत्ममंथन करने पर भी मजबूर कर दिया है। सिर्फ छह एपिसोड में निर्माताओं ने ऐसा जाल बुना है, जिसमें दर्शक उलझते चले जाते हैं। यह सीरीज़ न केवल एक कहानी है, बल्कि यह एक आइना है—जो हमारे हर कर्म की गूंज को दिखाता है।

‘कर्मा’ की कहानी:
कहानी में छह ऐसे लोग हैं जो एक-दूसरे से अनजान हैं, लेकिन एक साझा अपराध के धागे से जुड़े हुए हैं। हर एपिसोड में एक नया राज खुलता है, एक नया अतीत सामने आता है, और हर पात्र की अंतरात्मा से जुड़ी एक परत हटती है। यह सीरीज़ बताती है कि हम जो करते हैं, वह कहीं न कहीं सहेजा जाता है। न समय भूलता है, न प्रकृति।

कर्म का दार्शनिक प्रभाव:
‘कर्मा’ सीरीज़ हिंदू दर्शन के ‘कर्म सिद्धांत’ को बड़ी सूक्ष्मता से प्रस्तुत करती है। इसमें ‘क्रियमाण कर्म’ यानी वर्तमान में किए गए कार्यों और ‘प्रारब्ध कर्म’ यानी पिछले जन्मों या अतीत के कर्मों का फल—इन दोनों पहलुओं को कहानी में पिरोया गया है। सीरीज़ में कोई देवी-देवता न्याय नहीं करते, बल्कि घटनाएं ही उस न्याय का रूप बन जाती हैं।

प्रस्तुति और अभिनय:
छोटे फॉर्मेट के बावजूद कहानी की पकड़ इतनी मजबूत है कि दर्शक एक पल को भी नजरें नहीं हटा सकते। कोरियन सिनेमा की पहचान बन चुके कलाकार पार्क हे सू, शिन मिन आ, ली ही जून, किम सुंग क्यून, गोंग सेउंग योन और ली क्वांग सू अपने किरदारों में पूरी तरह रच-बस गए हैं।

सीरीज़ क्यों देखें?

  • केवल 6 एपिसोड, लेकिन गहराई अनंत।
  • बेहतरीन परफॉर्मेंस और सधा हुआ निर्देशन।
  • हर एपिसोड के बाद एक सवाल: “हमने क्या किया है, और क्या भुगतना बाकी है?”

निष्कर्ष:
‘कर्मा’ एक ऐसी सीरीज़ है जो केवल देखने के लिए नहीं, बल्कि महसूस करने के लिए है। यह बताती है कि हमारे कर्म हमारे साथ चलते हैं—कभी हमारे पीछे, तो कभी हमारे आगे।

 

रिपोर्ट : शिवांशु सिंह सत्या

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