शौर्य को सलाम: करगिल शहीद लांस नायक कृष्ण कुमार को सेना ने दी श्रद्धांजलि
‘घर-घर शौर्य सम्मान’ अभियान के तहत शहीद परिवार को दिया गया सम्मान-पत्र व स्मृति चिह्न
✍🏻 अमर शर्मा
15 जून।
भारतीय सेना ने करगिल युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए लांस नायक कृष्ण कुमार को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिजनों को ‘घर-घर शौर्य सम्मान’ पहल के तहत सम्मानित किया। 17वीं जाट रेजीमेंट के इस वीर जवान ने 30 मई, 1999 को मात्र 20 वर्ष की आयु में देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।
रविवार को सिरसा जिले के तरकनवाली गांव स्थित शहीद के घर पहुंचे सेना के प्रतिनिधिमंडल ने परिजनों को वीरता सम्मान-पत्र और स्मृति चिह्न भेंट किया। प्रतिनिधिमंडल में हवलदार कमलेश बिश्नोई और सैनिक सुनील शामिल रहे। इस दौरान शहीद की पत्नी संतोष देवी, पुत्र मनोज और मुकेश, एवं भाई बलजीत भावुक क्षणों में शामिल रहे।
करगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर विशेष अभियान
भारतीय सेना द्वारा यह सम्मान 26 जुलाई 2025 को मनाए जाने वाले 26वें करगिल विजय दिवस के मद्देनज़र चलाए जा रहे ‘घर-घर शौर्य सम्मान’ अभियान के तहत किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल शहीदों को सम्मान देना है, बल्कि उनके परिजनों से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं को समझना और समाधान की दिशा में कार्य करना भी है।
भारतीय सेना की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि “शहीद लांस नायक कृष्ण कुमार की बहादुरी, त्याग और राष्ट्र के प्रति समर्पण को भारत सदैव याद रखेगा। उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा।”
ऑपरेशन विजय की गौरवगाथा
ज्ञात हो कि 26 जुलाई, 1999 को सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ की सफलता की घोषणा की थी, जिसके तहत करगिल के बर्फीले दुर्गम चोटियों – टोलोलिंग, टाइगर हिल जैसी ऊंचाईयों पर करीब तीन महीने तक चले युद्ध के बाद भारत ने विजय हासिल की थी। तब करगिल जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा था, जिसे वर्ष 2020 में पुनर्गठित कर लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया।
करगिल जैसे कठिन भूगोल में अपने प्राणों की आहुति देने वाले लांस नायक कृष्ण कुमार की शौर्यगाथा, न केवल हरियाणा बल्कि समस्त देशवासियों के गर्व का विषय है।
शहीदों के सम्मान में सेना का नया संकल्प
सेना की यह पहल बताती है कि राष्ट्र अपने सपूतों के बलिदान को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्म और सम्मान के साथ याद करता है। ‘घर-घर शौर्य सम्मान’ योजना के तहत अनेक शहीद परिवारों से सीधा संवाद स्थापित कर सेना यह संदेश दे रही है कि देश कभी अपने वीरों को नहीं भूलता।