बिहार में ‘दामाद आयोग’ का खेल? तेजस्वी यादव का नीतीश सरकार पर तीखा हमला
मुख्यमंत्री को बताया ‘अचेत’, नियुक्तियों पर उठाए पांच बड़े सवाल

Picture credit – Shri Tesjwai Yadav X .

पटना, 15 जून।
राज्य की सियासत में रविवार को उस वक्त हलचल मच गई जब पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार सरकार पर जोरदार हमला करते हुए आरोप लगाया कि बिहार में ‘दामाद आयोग’ बनाकर सत्ताधारी दल के करीबी लोगों को मलाईदार पदों पर बिठाया जा रहा है। तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को “अचेत” बताते हुए कहा कि उनके नाक के नीचे बिहार में बड़ा खेल चल रहा है, जिसकी उन्हें भनक तक नहीं है।

तेजस्वी ने दावा किया कि बिहार की विधि-व्यवस्था चरमरा चुकी है, पुलिसकर्मियों पर रोज हमले हो रहे हैं और रिटायर्ड अफसर मिलकर बिहार चला रहे हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि “मुख्यमंत्री आवास तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है” और ट्रांसफर-पोस्टिंग चढ़ावे के आधार पर होती है।

दामादों की नियुक्तियों पर उठाए सवाल
तेजस्वी ने हाल ही में गठित आयोगों में नियुक्त किए गए कुछ लोगों को लेकर कहा कि यह ‘दामाद आयोग’ बनाने जैसा है। उन्होंने नाम लिए बिना रामविलास पासवान, जीतन राम मांझी और अशोक चौधरी के दामादों को आयोगों में दी गई जगहों को लेकर सीधा तंज कसा। साथ ही मुख्यमंत्री के पूर्व प्रमुख सचिव रहे दीपक कुमार की पत्नी की नियुक्ति पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि “उनकी पहचान छिपाने के लिए पिता का नाम इस्तेमाल किया गया।”

एडवोकेट जनरल की नियुक्ति पर भी सवाल
तेजस्वी ने जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष की बेटी को सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट जनरल बनाए जाने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “जहां एक ओर प्रदेश में ऐसे कई वरिष्ठ अधिवक्ता हैं जिन्हें 20 वर्षों में कोई पद नहीं मिला, वहीं सत्ता से जुड़ी बेटी को बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी जाती है।” उन्होंने यह भी पूछा कि किस आधार पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई।

तेजस्वी के पांच सवाल
तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार से निम्नलिखित पांच सवाल पूछे:

  1. क्या आयोगों में नियुक्ति का मापदंड पारिवारिक संबंध बन गया है?
  2. दामादों और रिश्तेदारों की नियुक्ति क्या योग्यता के आधार पर हुई है?
  3. दीपक कुमार की पत्नी की नियुक्ति में पिता का नाम क्यों बताया गया?
  4. वर्षों से सेवा दे रहे वरिष्ठ अधिवक्ताओं को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है?
  5. क्या ट्रांसफर-पोस्टिंग अब नीलामी का हिस्सा बन चुका है?

जनता से छलावा कर रही सरकार: तेजस्वी
तेजस्वी ने कहा कि यह सब कुछ जनता के साथ छल है। सरकार को दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों से सिर्फ वोट चाहिए, उनके हक की बात कोई नहीं करता। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की छवि अब ‘मुखिया’ जैसी नहीं रही, बल्कि वे पूरी तरह निष्क्रिय हो चुके हैं।

राजनीतिक हलकों में हलचल
तेजस्वी के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में सरगर्मी तेज हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि करगिल विजय दिवस और संसद सत्र से पहले तेजस्वी का यह हमला सत्ता पक्ष को रक्षात्मक स्थिति में ला सकता है।

सरकार की ओर से अभी तक तेजस्वी यादव के आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

 

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