आंगनबाड़ी केंद्रों की बदलेगी तस्वीर, डीएम ने दिए व्यवस्था सुधारने के निर्देश
वन स्टॉप सेंटर के लंबित मामलों के शीघ्र निष्पादन पर भी दिया जोर
मुंगेर, 15 जून।
जिले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और महिला व बाल विकास से जुड़ी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने को लेकर जिलाधिकारी अरविंद कुमार ने सख्त रुख अपनाया है। शनिवार को समाहरणालय स्थित सभागार में आईसीडीएस, वन स्टॉप सेंटर और महिला विकास निगम की मासिक समीक्षा बैठक में डीएम ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
बैठक में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (आईसीडीएस) रेखा कुमारी सहित सभी प्रखंडों के सीडीपीओ और संबंधित विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल, शौचालय और बिजली की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि जहां इन मूलभूत सुविधाओं की कमी है, वहां तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित विभागों से समन्वय कर समस्या का समाधान किया जाए। विशेष रूप से पेयजल की समस्या के समाधान के लिए पीएचईडी को पत्राचार कर जून महीने के भीतर सभी केंद्रों में जल सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
उन्होंने उन आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की, जहां जमीन उपलब्ध हो चुकी है। डीएम ने कहा कि निर्माण कार्य समयसीमा के भीतर पूर्ण कर केंद्रों को नए भवन में शिफ्ट किया जाए। साथ ही जो भवन निर्माणाधीन हैं, उन्हें भी त्वरित गति से पूरा किया जाए। यदि कहीं अड़चन हो तो मनरेगा और उप विकास आयुक्त के साथ बैठक कर समाधान निकाला जाए।
डीएम श्री कुमार ने आंगनबाड़ी केंद्रों के दैनिक संचालन की नियमित जांच और पोषण ट्रैकर को अद्यतन रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक केंद्र में बच्चों को दी जा रही सुविधाओं की निगरानी होनी चाहिए ताकि लाभार्थियों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मिल सकें।
बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि सभी सीडीपीओ साप्ताहिक समीक्षा बैठक करें और मासिक रिपोर्ट अपडेट करते हुए अद्यतन प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।
इसके अतिरिक्त, सेवानिवृत्त कर्मियों के बकाया सेवान्त लाभ का भुगतान लंबित नहीं रहना चाहिए। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि आवेदन प्राप्त होते ही जांच पूरी कर तत्काल भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
बैठक के दौरान वन स्टॉप सेंटर में लंबित मामलों को शीघ्र निष्पादित करने का निर्देश भी जिलाधिकारी ने दिया। उन्होंने कहा कि महिला हिंसा से संबंधित प्रकरणों में देरी न हो और पीड़ितों को समय पर न्याय मिले, इसके लिए प्रत्येक केस की निगरानी जरूरी है।
जिलाधिकारी ने अंत में सभी अधिकारियों को अपने-अपने कार्यों को निर्धारित समय सीमा में गुणवत्तापूर्वक पूर्ण करने की हिदायत दी और कहा कि योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन ही प्रशासन की असली सफलता है।