न्यूयॉर्क में रूसी समुदाय की पृष्ठभूमि पर आधारित एक भावनात्मक और हिंसक फिल्म
इस साल कान्स फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन पाम अवॉर्ड जीतने वाली फिल्म ‘अनौरा’ ने दर्शकों और समीक्षकों का दिल जीत लिया। प्रसिद्ध निर्देशक सीन बेकर की यह कृति एक रोमांटिक कहानी के रूप में शुरू होती है, लेकिन जल्द ही इसे एक गहरी और हिंसक सामाजिक नाटक में बदल देती है।
फिल्म की मुख्य पात्र अनौरा (मिकी मैडिसन), 23 वर्षीय युवती, न्यूयॉर्क के एक नाइटक्लब में डांसर और सेक्स वर्कर के रूप में काम करती है। उसकी मुलाकात एक रात इवान (मार्क ईडेलश्टेन) से होती है, जो रूसी कुलीन वर्ग के परिवार का उत्तराधिकारी है। इवान अनौरा को अपनी भव्य कोठी में ‘प्राइवेट सर्विसेस’ के लिए बुलाता है। दोनों के बीच एक अद्वितीय रिश्ता पनपता है, जो धीरे-धीरे ग्राहक और पेशेवर संबंधों से परे चला जाता है।
रूसी गैंगस्टर्स का खतरा
हालात तब पलट जाते हैं, जब इवान के माता-पिता उनकी अनचाही शादी का विरोध करते हैं और रूसी गैंगस्टर्स को इस रिश्ते को खत्म करने का आदेश देते हैं। यहां से फिल्म एक परीकथा से डरावने सपने की ओर बढ़ती है। रोमांस, ड्रामा और हिंसा का यह संगम दर्शकों को कहानी से बांधने में पूरी तरह सक्षम है।
प्रदर्शन और फिल्म निर्माण
मिकी मैडिसन ने अनौरा के किरदार को जीवंत किया है, जो एक मजबूत और साहसी महिला के संघर्ष और भावनात्मक जटिलताओं को प्रदर्शित करता है। इवान की भूमिका में मार्क ईडेलश्टेन ने ठीक प्रदर्शन किया है, लेकिन असली आकर्षण युरा बोरिसोव का है, जो एक खतरनाक गैंगस्टर की भूमिका में प्रभाव छोड़ते हैं।
सीन बेकर की कहानी और निर्देशन इस फिल्म को अलग बनाते हैं। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी दर्शकों को नाइटक्लब की जगमगाहट से लेकर रूसी कुलीन वर्ग के ठाठ-बाट तक की यात्रा कराती है। न्यूयॉर्क और लास वेगास के दृश्य बेहद प्रामाणिक और प्रभावशाली हैं।
फिल्म का अंत अपेक्षाओं के अनुसार हो सकता है, लेकिन इसमें छुपे संकेत और खुले अंत ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। ‘अनौरा’ उन कहानियों में से है जो मनोरंजन के साथ-साथ समाज के काले पहलुओं पर भी प्रकाश डालती हैं।
फिल्म ‘अनौरा’ न केवल एक मनोरंजक अनुभव है, बल्कि यह सामाजिक और व्यक्तिगत संघर्षों की गहरी पड़ताल भी करती है।
रिपोर्ट: अंशु कुमार
(मीडिया छात्र, पटना)