भागलपुर के व्यवहार न्यायालय में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें साली को भगाने के आरोप में आरोपी जीजा को अनोखी सजा दी गई है। इस फैसले ने पूरे जिले में चर्चाओं का दौर छेड़ दिया है। न्यायाधीश वीवी गुप्ता द्वारा सुनाया गया यह फैसला पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी सराहनीय माना जा रहा है।

17 साल बाद आया फैसला: पेड़ लगाने की मिली सजा

मामला 2007 का है, जब सनोखर थाना क्षेत्र के राजकुमार चौधरी पर आरोप लगा था कि उसने अपनी शादीशुदा साली को भगाया। इस मामले में अदालत ने 17 साल बाद सुनवाई करते हुए आरोपी को 25 पेड़ लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक वह पेड़ नहीं लगाएगा और उसकी देखभाल नहीं करेगा, तब तक मुकदमे की सुनवाई आगे नहीं बढ़ेगी।

जज ने पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

राजकुमार चौधरी ने अदालत के आदेश का पालन करते हुए 25 पेड़ लगाए और उनकी देखभाल की। शनिवार को उसने कोर्ट में पौधों के देखभाल का सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया, जिसके बाद जज ने उसे एक साल तक और पौधों की देखभाल करने का आदेश देकर आरोप से मुक्त कर दिया।

वकीलों ने फैसले की सराहना की

भागलपुर के वरिष्ठ वकील सत्यजीत सहाय ने इस फैसले को समाज के लिए एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा कि “यह फैसला न केवल आरोपी को सही दिशा दिखाने वाला है, बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाला भी है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के दौर में ऐसे फैसले की आवश्यकता है।”

यह निर्णय निश्चित रूप से कानून और समाज के बीच एक मजबूत कड़ी के रूप में उभर कर आया है, जहां न्यायालय ने न केवल अपराध को सजा दी बल्कि समाज को भी एक नया संदेश दिया।

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