ब्लैक बैग : जासूसी, विश्वासघात और रिश्तों की उलझी परतें

साल 2025 की दूसरी पेशकश के रूप में निर्देशक स्टीवन सोडरबर्ग की नई फिल्म ‘ब्लैक बैग’ सिनेमाघरों में आई और दर्शकों के सामने एक ऐसा जासूसी रोमांच लेकर आई है जो ब्रिटिश खुफिया कहानियों की याद दिला देती है। फिल्म की कहानी केवल कोल्ड वॉर के दौर की फिजा ही नहीं रचती, बल्कि उस दुनिया के मनोवैज्ञानिक द्वंद्व, रिश्तों की टूटन और सबसे बड़े पाप—‘विश्वासघात’—को भी दिल से पकड़ती है।

डेविड कोएप की कलम से निकली कहानी

भले ही फिल्म के निर्देशक सोडरबर्ग हों, लेकिन पटकथा लिखी है हॉलीवुड के मशहूर स्क्रिप्ट राइटर डेविड कोएप ने, जिनका नाम ‘जुरासिक पार्क’, ‘मिशन इम्पॉसिबल’ और ‘इंडियाना जोन्स’ जैसी बड़ी फिल्मों से जुड़ा है। लेकिन ‘ब्लैक बैग’ में कोएप ने रोमांच और रिश्तों की जटिलता के बीच एक ऐसा संतुलन साधा है जो न तो पूरी तरह एक्शन है, न ही विशुद्ध पारिवारिक ड्रामा—बल्कि एक परिपक्व जासूसी कथा जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है।

कोड नाम : ब्लैक बैग

फिल्म का शीर्षक ही अपने आप में रहस्य से भरा है। ‘ब्लैक बैग’ उस छुपे हुए दस्तावेज़ या ऑपरेशन्स का नाम है जो साइबर जासूसी और प्रतिजासूसी की दुनिया में सबसे ज्यादा गोपनीय माने जाते हैं। कहानी एक ऐसे विभाग की है जहां पांच अधिकारियों में से किसी एक पर ‘मोल’ यानी गद्दार होने का शक है। इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा जाता है अनुभवी जासूस जॉर्ज वुडहाउस को।

जब जासूस की पत्नी पर ही उठे शक के सवाल

जांच की पेचीदगी तब और बढ़ जाती है जब जॉर्ज की अपनी पत्नी कैथरीन भी संदेह के घेरे में आ जाती हैं। अगर कैथरीन वाकई गद्दार हैं, तो ये न केवल देश के साथ विश्वासघात होगा, बल्कि जॉर्ज के निजी जीवन की नींव भी हिल जाएगी। फिल्म की कहानी इस रिश्ते की गहराई और दरारों को उस नजरिये से दिखाती है जिसे शायद जासूसी फिल्मों में कम ही देखा गया है।

शानदार अभिनय का मिला साथ

कैथरीन की भूमिका में केट ब्लैंचेट एक बार फिर अपने अभिनय का शिखर छूती हैं। ‘टार’ के बाद यह उनका सबसे परिपक्व और जटिल किरदार है, जिसमें उन्होंने रहस्य और भावना का अनूठा मिश्रण रचा है। वहीं जॉर्ज की भूमिका में माइकल फेसबेंडर ने ‘जासूस जो झूठ से नफरत करता है’ का रूप बखूबी निभाया है। उनके चेहरे की गंभीरता और अंदरूनी उथल-पुथल दर्शकों को लंबे समय तक याद रहेगी। साथ ही, पियर्स ब्रॉसन की उपस्थिति फिल्म को एक पुरानी बॉन्ड दुनिया का संदर्भ देती है, जिससे फिल्म की गरिमा और बढ़ जाती है।

सजीव संवाद, सीमित स्थान में रचा गया संसार

कहानी की शुरुआत और अंत एक ही फ्लैट में होती है—पहला दृश्य एक शांत रात्रिभोज का है और अंतिम दृश्य एक ऐसा समाधान जो एगाथा क्रिस्टी की कहानियों की याद दिला देता है। फिल्म का बड़ा हिस्सा संवादों, मनोवैज्ञानिक टकराव और सूक्ष्म संकेतों पर आधारित है, जो इसे जासूसी फिल्मों की भीड़ में अलग बनाता है।

निष्कर्ष : एक परिपक्व जासूसी फिल्म

‘ब्लैक बैग’ अमेरिकी निर्माण के बावजूद एक बेहद ब्रिटिश जासूसी थ्रिलर की तरह महसूस होती है। इसमें केवल गद्दारी की कहानी नहीं, बल्कि उन रिश्तों की कहानी भी है जो कभी छिपे रहस्यों से टूट जाते हैं, तो कभी प्रेम की आड़ में धोखा बन जाते हैं। यह फिल्म उन दर्शकों के लिए है जो एक्शन के साथ भावनात्मक गहराई और संवादों में छिपी जटिलता को भी समझते हैं।

फिल्म समीक्षक: 

रिपोर्ट: निहाल देव दत्ता

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