औरंगाबाद
बिहार की संस्कृति में गहरे तक रची-बसी छठ पूजा, जिसे लोक आस्था का महापर्व भी कहा जाता है, न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में आस्था और सद्भाव का प्रतीक बन चुकी है। इस पूजा में न कोई पंडित होता है, न कोई पुजारी, बल्कि हर व्रती स्वयं ही पूजा के अनुष्ठान में शामिल होता है। सूर्य देवता की प्रत्यक्ष उपासना करने वाला यह पर्व जाति और धर्म के भेदभाव से परे, पवित्रता और समानता का संदेश फैलाता है।
छठ पूजा की खास बात यह है कि इसमें व्रती जाति-समुदाय से परे होकर सूर्य की उपासना करते हैं। छठ के लोक गीत और संगीत इस पर्व को एक अनोखी पहचान देते हैं। प्रसाद में घर पर बनाए गए ठेकुआ जैसे पकवान और विभिन्न प्रकार के फल चढ़ाए जाते हैं। घाटों पर हर वर्ग के लोग एक साथ खड़े होकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जहाँ कोई उच्च-नीच, छुआ-छूत का भेदभाव नहीं होता। प्रसाद ग्रहण करते समय अमीर-गरीब, ऊँच-नीच सब एक समान श्रद्धा से इस पर्व का हिस्सा बनते हैं।
औरंगाबाद विधानसभा से जन सुराज के भावी प्रत्याशी रमेश सिंह ने छठ पर्व की महत्ता पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह पर्व स्वच्छता, पवित्रता और सच्ची भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है। रमेश सिंह ने TWM न्यूज़ के दर्शकों और पूरी टीम को छठ पूजा की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह पर्व सिखाता है कि जो अस्त होता है, उसका उदय निश्चित है और जो उदय होता है, उसका अस्त भी निश्चित है। उनके अनुसार, यह पर्व समाज में सरलता, स्वच्छता और समानता का संदेश फैलाकर सकारात्मकता को प्रोत्साहित करता है।