गौतम गंभीर का भरोसा – “9 मार्च को दिखेगा भारत का सर्वश्रेष्ठ खेल”

 

भारतीय मुख्य कोच गौतम गंभीर का मानना है कि उनकी टीम अब तक “संपूर्ण खेल” नहीं खेल पाई है, बावजूद इसके कि उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल तक का सफर अपराजित रहते हुए तय किया है। गंभीर को उम्मीद है कि 9 मार्च को होने वाले खिताबी मुकाबले में टीम इंडिया अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी और चैंपियंस ट्रॉफी पर कब्जा जमाएगी।

अभी बाकी है सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन – गंभीर

गंभीर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले सेमीफाइनल में चार विकेट से मिली जीत के बाद कहा, “अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हमेशा सुधार की गुंजाइश होती है। आप यह नहीं कह सकते कि हमने हर लक्ष्य हासिल कर लिया है। हमने अब तक परफेक्ट मैच नहीं खेला है और मैं प्रदर्शन से पूरी तरह संतुष्ट कभी नहीं हो सकता।”

उन्होंने साफ किया कि टीम का पूरा फोकस फाइनल पर है, और उन्हें उम्मीद है कि वहीं पर भारत का “संपूर्ण खेल” देखने को मिलेगा।

“हम चाहते हैं कि हम निरंतर सुधार करें, मैदान पर आक्रामक रहें लेकिन मैदान के बाहर विनम्रता बनाए रखें,” गंभीर ने कहा।

रणनीति और बदलाव का असर

भारतीय टीम ने इस टूर्नामेंट में कई चौंकाने वाले रणनीतिक फैसले लिए, जिनमें चार स्पिनर्स को खिलाना और अक्षर पटेल को नंबर 5 पर भेजना शामिल रहा, जबकि केएल राहुल को नंबर 6 पर भेजा गया।

गंभीर ने कहा कि ये फैसले टीम को उनकी कंफर्ट ज़ोन से बाहर निकालने के लिए किए गए थे, ताकि खिलाड़ी नए हालात में ढल सकें।

“क्रिकेट में ग्रोथ तब होती है जब आप अपनी सहज स्थिति से बाहर आते हैं। अगर सब कुछ एक जैसा चलता रहेगा, तो विकास रुक जाएगा। यही वजह है कि हमने कुछ अलग किया और अब तक नतीजे हमारे पक्ष में रहे हैं,” गंभीर ने कहा।

फाइनल के बाद तय होंगे भविष्य के फैसले

गंभीर ने यह भी स्पष्ट किया कि सीनियर खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर कोई भी चर्चा 9 मार्च के फाइनल के बाद ही होगी।

“फिलहाल मेरा पूरा ध्यान सिर्फ फाइनल पर है। 9 मार्च के बाद हम बैठकर आगे की योजना पर बात करेंगे,” उन्होंने कहा।

फाइनल में “संपूर्ण खेल” की तलाश

गंभीर ने सेमीफाइनल में लक्ष्य का पीछा करने के तरीके की तारीफ करते हुए कहा कि टीम ने पूरी पेशेवर रणनीति के साथ लक्ष्य का पीछा किया।

“हमने अपनी योजना को सटीक तरीके से लागू किया। 40 ओवर के बाद हमारे पास पर्याप्त विकेट बचे हुए थे, जिससे हमें नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिली।”

रिपोर्ट: अनिरुद्ध नारायण
(मीडिया छात्र, पटना)

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