अद्वितीय तकनीक और कलाकारों की मेहनत से बनी यह फिल्म आज भी यादगार

हॉलीवुड की मशहूर फिल्म स्लीपी हॉलो आज ही के दिन, 19 नवंबर 1999 को रिलीज हुई थी। यह फिल्म अमेरिकी लेखक वॉशिंगटन इरविंग की कहानी द लेजेंड ऑफ स्लीपी हॉलो पर आधारित है। इसके निर्देशन की शुरुआत 1993 में की गई थी, लेकिन अंतिम रूप इसे प्रसिद्ध निर्देशक टिम बर्टन ने दिया।

फिल्म के शुरुआती दिनों में इसे एक कम बजट की स्लैशर फिल्म के रूप में बनाने की योजना थी, जिसका निर्देशन स्पेशल इफेक्ट्स तकनीशियन केविन याघर करने वाले थे। याघर, जो चाइल्ड्स प्ले (1988) के कुख्यात ‘चकी’ डॉल के निर्माता भी हैं, ने इस फिल्म के लिए prosthetic makeup डिज़ाइन किया। लेकिन, पैरामाउंट पिक्चर्स के साथ रचनात्मक मतभेदों के चलते याघर निर्देशन से हट गए। इसके बाद जून 1998 में टिम बर्टन को फिल्म का निर्देशन सौंपा गया।

जोनी डेप ने निभाया ‘इकाबॉड क्रेन’ का यादगार किरदार
फिल्म में जोनी डेप ने मुख्य किरदार इकाबॉड क्रेन निभाया। डेप, जो निर्देशक बर्टन की पहली पसंद थे, ने इस किरदार को बेहद अनोखा और प्रभावशाली बना दिया। उन्होंने किरदार को वॉशिंगटन इरविंग की कहानी के अनुसार लंबी नाक, बड़े कान और पतले हाथों वाला दिखाने का सुझाव दिया, लेकिन स्टूडियो ने इसे खारिज कर दिया।

जोनी डेप ने किरदार में गहराई लाने के लिए कई अध्ययन किए। उन्होंने शर्लक होम्स फिल्म सीरीज के बासिल रथबोन और अभिनेता रॉडी मैकडॉवेल के अभिनय से प्रेरणा ली। डेप का कहना था, “इकाबॉड क्रेन को मैंने एक नाजुक और डरपोक इंसान के रूप में देखा, जो अपनी स्त्रैण भावनाओं से भी जुड़ा है।”

तकनीकी विकास ने बनाया फिल्म को खास
स्लीपी हॉलो हॉलीवुड की पहली ऐसी फिल्म है जिसमें हेडलेस हॉर्समैन के किरदार को तकनीकी रूप से उन्नत तरीके से पेश किया गया। इस किरदार में अभिनेता का सिर एक नीले मास्क से ढका गया, जिसे CGI तकनीक के जरिए गायब किया गया।

फिल्म की शूटिंग के दौरान कई दिलचस्प घटनाएं भी हुईं। अभिनेत्री क्रिस्टिना रिची ने खुलासा किया कि हेडलेस हॉर्समैन का किरदार निभाने वाले क्रिस्टोफर वॉकेन सेट पर बेहद शांत स्वभाव के थे। साथी कलाकारों ने उन्हें बात करने के लिए प्रेरित करने की मजेदार प्रतियोगिता भी की।

डेप ने अपनाया फिल्म का घोड़ा
फिल्म के दौरान, डेप ने उस घोड़े गोल्डनआई को गोद ले लिया, जिसने इकाबॉड क्रेन के घोड़े गनपाउडर का किरदार निभाया था। डेप को पता चला कि घोड़े को शूटिंग के बाद मारने की योजना है। सेट पर यह घोड़ा अपनी “शरारतों” और बार-बार गैस छोड़ने के कारण चर्चा में रहा।

आज भी, स्लीपी हॉलो अपने अद्वितीय निर्देशन, कलाकारों की मेहनत और तकनीकी क्रांति के कारण याद की जाती है। यह फिल्म हॉरर शैली में एक नई पहचान बनाने में सफल रही।

 

लेखनी शिवांशु सिंह सत्य, पटना से – संवाददाता

 

 

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