“आत्म मोक्षार्थं जगत हिताय च ” मनुष्य के जीवन का आदर्श होना चाहिए।

समाज की नि:स्वार्थ सेवा के बिना कोई भी परम पुरुष के निकट नहीं आ सकता।

बिना ध्यान साधना के अभ्यास के कोई भी समाज की निस्वार्थ सेवा नहीं कर सकता।

परम पुरुष के साथ एक होने के लिए परम पुरुष का ध्यान और मन को पवित्र करने के लिए निस्वार्थ मानव समाज की सेवा।

आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की ओर से आयोजित तीन दिवसीय विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन के तीसरे दिन अमझर कोलकाली,आनन्द सम्भूति मास्टर यूनिट में ब्रह्म मुहूर्त में साधक-सधिकाओं ने गुरु सकाश एवं पाञ्चजन्य में ” बाबा नाम केवलम” का गायन कर वातावरण को मधुमय बना दिया।

प्रभात फेरी में गली-गली अष्टाक्षरी महामंत्र का गायन किया।पुरोधाप्रमुख जी के पंडाल पहुंचने पर कौशिकी व तांडव नृत्य किया गया।साधकों को संबोधित करते हुए पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानन्द अवधूत ने कहा कि आज का विषय “जीव का जीवन आदर्श क्या होना चाहिए ?”

भागवत् सेवा के द्वारा ही कोई भक्ति में प्रतिष्ठित होता है।अतः भक्त का जीवन आदर्श क्या होना चाहिए? जीव का जीवन आदर्श क्या होना चाहिए? “आत्म मोक्षार्थं जगत हिताय च”।परम पुरुष के साथ एक होने के लिए परम पुरुष का ध्यान और साथ-साथ मन को पवित्र करने के लिए मानव समाज की सेवा।समाज की नि:स्वार्थ सेवा के बिना कोई भी परम पुरुष के निकट में नहीं आ सकता।बिना ध्यान साधना के अभ्यास के कोई भी समाज की निस्वार्थ सेवा नहीं कर सकता।याद रखना चाहिए कि जीवन का आदर्श “आत्म मोक्षार्थं जगत् हिताय च” होना चाहिए।श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने भारत एवं विदेशों से आए हजारों साधक साधिकाओं के बीच धर्म महासम्मेलन में भारत के विभिन्न प्रांतों एवं विश्व के अनेक देशों से आए हुए साधकगण आनंद संभूति जमालपुर के आध्यात्मिक दृश्यों का अवलोकन कर भाव विभोर हो रहे हैं।

संध्या में धर्म चक्र के साथ रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम “रावा” रीनासा आर्टिस्ट एंड राइटर एसोसिएशन के द्वारा की जाएगी जिसका निर्देशन प्रोफैसर मृणाल पाठक किए।सम्मेलन के दौरान जाति-पाति रंगभेद और नसलवाद को दूर करने के लिए अनेक युवक युवती अंतरजातीय दहेज मुक्त क्रांतिकारी विवाह किए तथा श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख दादा से आशीर्वाद लेकर अपना गृहस्थ जीवन प्रारंभ करेंगे।

रीनासान्स यूनिवर्सल एंड राइटर्स एसोसिएशन के तत्वाधान में आर्थिक विषमता,गरीबी,भुखमरी एवं बेरोजगारी का दंश झेल रहे विश्व मानवता की पीड़ा को दूर करने के लिए सामाजिक आर्थिक सिद्धांत “प्रऊत” प्रगतिशील उपयोग तत्व आधारित एक विचार गोष्ठी को आचार्य सत्यआश्रयनंद अवधूत संबोधित किया।

आनंदमार्ग की पुस्तकें,पत्र-पत्रिकाएं,प्रतीक,प्रतिकृति एवं यौगिक चिकित्सा द्रव्यगुण की प्राकृतिक औषधियां विभिन्न स्टॉल के द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे।तांडव एवं कौशिकी नृत्य के प्रतियोगिता का आयोजन हरि परिमंडल गोष्ठी के महिलाओं और पुरुषों के द्वारा किया जाएगा।गुरुदेव भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी के वराभय मुद्रा का स्पंदन लेकर आशीर्वाद लेकर साधकगण नई ऊर्जा के साथ,नई उमंग के साथ रात्रि के बाद अपने गंतव्य की ओर लौट जाएंगे।

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