महाविकास अघाड़ी को बड़ा झटका
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल कर सत्ता पर कब्जा बरकरार रखा है। 288 सीटों में से 230 सीटों पर जीत और बढ़त के साथ, महायुति ने अपनी ताकत का फिर से प्रदर्शन किया है। वहीं, विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) महज 50 सीटों पर सिमट गई।
इस चुनाव परिणाम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की लोकप्रियता और राज्य में महायुति गठबंधन की मजबूती को फिर से स्थापित किया।
भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। चर्चा है कि शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में हो सकता है, जहां से फडणवीस ने एक दशक पहले मुख्यमंत्री के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी।
चुनाव परिणामों की स्थिति
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा ने अब तक 35 सीटें जीती हैं और 78 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। शिवसेना ने 27 सीटों पर जीत दर्ज की है और 29 सीटों पर आगे है। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 25 सीटें जीतीं और 16 पर बढ़त बनाई है।
विपक्ष को भारी नुकसान
विपक्षी महाविकास अघाड़ी, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), और शरद पवार गुट की एनसीपी शामिल है, को करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण और बाला साहेब थोराट जैसे वरिष्ठ नेता अपनी सीटें गंवा बैठे। शिवसेना (यूबीटी) की श्रद्धा जाधव को भाजपा के अनुभवी नेता कालिदास कोलंबकर ने हराया, जो लगातार नौवीं बार चुनाव जीते।
विकास योजनाओं का जादू
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस जीत का श्रेय जनता के समर्थन, भाजपा की संगठित रणनीति और विकास कार्यों को दिया। उन्होंने “मुख्यमंत्री माजी लाडकी बहिण” जैसी योजनाओं का उल्लेख किया, जिसने खासतौर पर महिलाओं का विश्वास जीतने में अहम भूमिका निभाई।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे ऐतिहासिक जीत बताते हुए कहा कि यह जनता के विश्वास की जीत है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फडणवीस को इस शानदार प्रदर्शन के लिए व्यक्तिगत रूप से बधाई दी।
एमवीए का भविष्य अधर में
एमवीए की इस हार ने विपक्षी गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए भी एमवीए की दावेदारी कमजोर है, क्योंकि कोई भी पार्टी 10% सीटों की सीमा पार नहीं कर पाई।
मतदाता उत्साह और रणनीति की जीत
20 नवंबर को हुए मतदान में 66.05% मतदाताओं ने हिस्सा लिया, जो पिछली बार के 61.1% से अधिक है। भाजपा की जमीनी रणनीति और व्यापक जनसंपर्क अभियानों ने मतदाता उत्साह को बढ़ावा दिया।