वैश्विक मंदी की मार से हिला बाजार

सेंसेक्स 3939 अंक लुढ़का, 20 लाख करोड़ की संपत्ति स्वाहा

मुंबई। वैश्विक बाजारों में मची उथल-पुथल और अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी-भरकम शुल्क के कारण सोमवार को भारतीय शेयर बाजार बुरी तरह लड़खड़ा गया। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में ही 3939.68 अंक यानी 5.22 फीसदी गिरकर 71,425.01 के स्तर पर आ गया। इस भारी गिरावट के साथ निवेशकों की 20.16 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति पलभर में मिट्टी में मिल गई।

बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण गिरकर 3,83,18,592.93 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो लगभग 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है।

सभी सेक्टर डूबे, मेटल और ऑटो सेक्टर में सबसे बड़ा नुकसान
सोमवार को शेयर बाजार की हर गली में हाहाकार मचा रहा। बीएसई के सभी 30 सेंसेक्स शेयर लाल निशान में रहे। टाटा स्टील और टाटा मोटर्स में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट आई। इनके अलावा एलएंडटी, एचसीएल टेक, अदानी पोर्ट्स, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, टीसीएस, रिलायंस इंडस्ट्रीज और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे दिग्गज शेयर भी धराशायी हो गए।

बीएसई के सभी सेक्टोरल इंडेक्स नुकसान में रहे। मेटल इंडेक्स 8 फीसदी तक टूट गया। इंडस्ट्रियल्स में 6.39%, कमोडिटी में 6.14%, आईटी में 5.71%, कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी में 5.42% और टेक सेक्टर में 4.84% की गिरावट देखी गई। बीएसई स्मॉलकैप 6.62% और मिडकैप 5.01% टूट गए।

एशियाई बाजारों में भी हाहाकार
इस गिरावट की लहर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही। हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स 11 फीसदी तक लुढ़क गया, जबकि टोक्यो का निक्केई 225 में 7 फीसदी की गिरावट आई। शंघाई और साउथ कोरिया के बाजारों में भी क्रमशः 7 फीसदी और 5 फीसदी से अधिक का नुकसान हुआ।

अमेरिकी बाजार भी डगमगाए
हफ्ते के अंत में अमेरिकी शेयर बाजारों में भी भारी गिरावट देखी गई। एसएंडपी 500 में 5.97%, नैस्डैक में 5.82% और डाउ जोंस में 5.50% की गिरावट आई। यह गिरावट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वैश्विक व्यापार भागीदारों पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा के बाद आई है, जिससे निवेशकों में भारी घबराहट देखी गई।

विश्लेषकों ने जताई चिंता, कहा- ‘अभी और गिरावट संभव’
भविष्य को लेकर निवेशक असमंजस में हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा, “अमेरिका के टैरिफ युद्ध ने पूरी दुनिया में अनिश्चितता पैदा कर दी है। बाजार को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। ऐसे दौर में इंतजार करना ही सबसे बेहतर रणनीति होगी।”

कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट
इस वैश्विक मंदी का असर कच्चे तेल की कीमतों पर भी पड़ा है। ब्रेंट क्रूड की कीमत 2.76 फीसदी लुढ़ककर 63.77 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई, जो बीते एक साल में इसका सबसे निचला स्तर है।

 

 

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