मोबाइल कवर बेचते-बेचते रोहित ने पास की NEET, पाई 549 अंक और देशभर में 12,484वीं रैंक
जमशेदपुर के संघर्षशील बेटे की मिसाल बनी कहानी, सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिले का सपना

जमशेदपुर।
सपनों की उड़ान आर्थिक हालात नहीं रोक सकते—इस बात को साबित कर दिखाया है झारखंड के जमशेदपुर निवासी 20 वर्षीय रोहित कुमार ने, जिसने NEET-UG 2025 परीक्षा में 549 अंक हासिल कर देशभर में 12,484वीं रैंक पाई है।

फोन कवर बेचकर परिवार का पेट पालने वाले रोहित ने अपने जज़्बे और मेहनत से वह कर दिखाया, जो हजारों विद्यार्थियों का सपना होता है। अब रोहित की तमन्ना है कि उसे झारखंड के किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट मिल जाए।

बचपन से संघर्ष की कहानी
रोहित के पिता पहले सब्जी मंडी में काम करते थे। घर की जिम्मेदारियों को उठाने में मदद करने के लिए रोहित अपने बड़े भाई के साथ सड़क किनारे मोबाइल कवर का स्टॉल चलाता है। पढ़ाई की शुरुआत एक सरकारी स्कूल से हुई, लेकिन बाद में वह मात्र ₹800 मासिक शुल्क वाले एक प्राइवेट स्कूल में दाखिल हुआ।

कोविड लॉकडाउन के दौरान वह एक मेडिकल स्टोर में काम करने लगा, जहां से उसे चिकित्सा क्षेत्र में रुचि पैदा हुई। NEET के बारे में उसे पहले ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन 11वीं में PCB विषय चुनने के बाद वह पूरी तरह परीक्षा की तैयारी में जुट गया।

दिन में दुकान, रात भर पढ़ाई
रोहित ने बताया कि वह सुबह 7 बजे उठकर दोपहर तक पढ़ाई करता, फिर 4 बजे तक दुकान पर बैठता और रात 12 बजे तक दोबारा पढ़ाई करता। “हमारे स्टॉल से मुश्किल से ₹500 रोज की कमाई होती थी, इसलिए कोचिंग कर पाना संभव नहीं था,” उन्होंने बताया।

ऑनलाइन कोचिंग बना सहारा
रोहित को ‘Physics Wallah’ की मुफ्त ऑनलाइन ‘उम्मीद’ बैच में शामिल होने का मौका मिला, जिसने उसकी तैयारी में अहम भूमिका निभाई। यूट्यूब पर मुफ्त क्लासेज, एनसीईआरटी किताबों से नियमित अध्ययन और रिविजन के ज़रिए उन्होंने खुद को लगातार बेहतर किया।

भविष्य के डॉक्टरों को संदेश
NEET की तैयारी कर रहे छात्रों को रोहित ने सलाह दी कि वे एनसीईआरटी पर टिके रहें, सिलेबस से बाहर न जाएं, और लगातार रिविजन करते रहें। “मुश्किल हालात हों या आर्थिक तंगी—अगर लगन हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।

अब रोहित सिर्फ एक सीट का इंतजार कर रहा है—सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिले की, जिससे उसका सपना डॉक्टर बनने का पूरा हो सके।

रिपोर्ट : शिवांशु सिंह सत्या

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