मुंगेर की बेटी शालिनी ने राज्य में छठा स्थान प्राप्त कर जिले का नाम रौशन किया
मुंगेर: इस वक्त की बड़ी खबर मुंगेर से सामने आ रही है,जहां बिहार के मुंगेर जिला की एक बेटी ने बिहार के मैट्रिक एग्जाम में छठे रैंक लाकर जिले का नाम रोशन कर दिया है।जिसको लेकर मिल्की गांव में खुशी का माहौल है।
आपको बता दें की मुंगेर जिला के हवेली खड़गपुर अंतर्गत मिल्की गांव में इस वक्त खुशी का माहौल है।जहां गांव में परिजनों द्वारा मिठाई बाँटकर खुशी का इंजहार किया जा रहा है।वही शालिनी पास के गांव स्थित श्री रंगनाथ उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय,बनहरा की छात्रा है।
शालिनी आईएएस बनकर समाज की सेवा करना चाहती है।वही शालिनी के माता-पिता दोनों टीचर है।वही पिता सुदर्शन कुमार सिंह एक प्राइवेट शिक्षक के तौर पर घर पर ही कोचिंग चलाते हैं तथा मां रूबी कुमारी श्री रंगनाथ उच्चतर विद्यालय में गणित की शिक्षिका है।वही शालिनी ने 483 अंक लाकर बिहार के छठवें रैंक पर टॉप किया है।
वही इस अवसर पर पिता सुदर्शन कुमार सिंह ने कहा कि उन्हें पहले से आभास था कि उनकी बच्ची मैट्रिक परीक्षा में अच्छे अंकों से उतरन होगी,लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि उनकी बच्ची राज्य के अन्य बेटियों के लिए एक मिसाल कायम करेगी।उन्होंने कहा कि यह उनके अच्छे कर्मों का फल है जो उनकी बच्ची ने इतना अच्छा सफलता प्राप्त की है।
वही मां रूबी कुमारी ने कहा कि मैं प्रतिदिन अपनी बच्ची और बड़े बेटे को भी इसी प्रकार से पढ़ाई की ओर आकर्षित करने के लिए कई तरह से पढ़ने के लिए प्रेरित करती थी और उन्हें जो दिक्कतें आती थी उनमें मैं उन्हें सहयोग करती थी।इसके साथ ही मैं विद्यालय में नौकरी करते हुए घर में बच्चों को समय दिया करती थी।आज मेरी बच्ची शालिनी ने जो सफलता प्राप्त की है इसके पीछे उसकी कड़ी मेहनत और लगन है।
इसकी जानकारी स्कूल में मिलते ही परिजन सहित पूरे गांव वाले खुशी से गदगद हो गए।वहीं शालिनी को बधाई देने वालों का तांता लग गया है।टीचरों ने मिठाई बांटकर खुशी का इजहार करते हुए फूल माला से शालिनी का स्वागत किया।
वही स्कूल के प्रिंसिपल लक्ष्मी कुमार ने बताया कि शालिनी ने हमारे स्कूल का नाम पूरे प्रदेश में रौशन कर दिया है।वही शालिनी ने बताया कि वह प्रतिदिन स्कूल के बाद भी 6 घंटा पढ़ाई करती थी और उसने पढ़ाई के दौरान सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बनाए रखी।उन्होंने बताया कि (यूपीएससी) आईएएस बनना चाहती है और इस सफलता के पीछे अपने माता-पिता के साथ ही स्कूल स्टाफ का योगदान अहम रहा।