पटना में मंचित हुआ चर्चित नाटक ‘मरणोपरांत’, रिश्तों के द्वंद्व को मिली सजीव अभिव्यक्ति

पटना, 23 फरवरी। रंगम नाट्य संस्था द्वारा आज रंगमार्च स्टूडियो, पटना में सुप्रसिद्ध नाटककार सुरेंद्र वर्मा की चर्चित कृति ‘मरणोपरांत’ का प्रभावशाली मंचन किया गया। नाटक की परिकल्पना और निर्देशन रास राज ने किया, जिसमें प्रेम, विश्वासघात और रिश्तों की जटिलताओं को गहराई से उकेरा गया। मंचन के दौरान शहर के प्रतिष्ठित रंगप्रेमी, गणमान्य नागरिक एवं कला जगत से जुड़े लोग उपस्थित रहे, जिन्होंने प्रस्तुति की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

नाटक की पृष्ठभूमि

यह नाटक स्त्री-पुरुष संबंधों की जटिलता और प्रेम के त्रिकोणीय संघर्ष पर केंद्रित है। कहानी एक विवाहित महिला के विवाहेतर संबंधों, उसकी आकस्मिक मृत्यु और इसके बाद सामने आए रहस्यों के इर्द-गिर्द घूमती है। पति को पत्नी के प्रेम संबंध की जानकारी उसकी मृत्यु के बाद मिलती है, जिससे उसके भीतर आक्रोश, दुःख और सवालों का तूफान उमड़ पड़ता

नाटक के दौरान यह दिखाया गया कि विवाह के बाद यदि कोई स्त्री किसी और पुरुष के प्रति आकर्षित हो जाए, तो वह अपने पति के लिए अजनबी बन जाती है। इस प्रस्तुति में पति और प्रेमी के आमने-सामने होने की स्थितियों को बेहद संजीदगी से प्रस्तुत किया गया। दोनों अपने-अपने पक्ष रखते हैं, लेकिन अंततः वे इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अतीत की छाया से बाहर निकलकर आगे बढ़ना ही एकमात्र रास्ता है।

मंचन की विशिष्टताएँ

निर्देशक रास राज ने नाटक को अत्यंत प्रयोगात्मक शैली में प्रस्तुत किया, जहां प्रकाश और ध्वनि संयोजन ने दृश्यों को अधिक प्रभावी बनाया। प्रकाश परिकल्पना निहाल कुमार दत्ता द्वारा की गई, जिसने दृश्य बदलने के साथ भावनाओं के उतार-चढ़ाव को भी बखूबी उभारा। संगीत संयोजन में आयुष राज ने गहरे भावनात्मक क्षणों को सजीव कर दिया।

कलाकारों का सशक्त अभिनय

नाटक में पूजा गुप्ता ने नायिका की भूमिका में अपने पात्र की मानसिक उलझनों को सजीव किया, जबकि रास राज और विष्णु देव ने पति और प्रेमी की जटिल भावनाओं को बखूबी मंच पर उतारा। इनकी संवाद अदायगी और अभिव्यक्ति ने दर्शकों को बांधे रखा।

तकनीकी पक्ष और आयोजन

मंच परिकल्पना सतीश कुमार द्वारा की गई, जबकि वस्त्र विन्यास पिंकू राज और निभा ने संभाला। मंच संचालन प्रतीक्षा सिंह द्वारा किया गया। फोटोग्राफी विभा कपूर, वीडियोग्राफी लोकेश रंजन और मीडिया प्रभारी साहिल राज रहे।

रंगप्रेमियों ने की सराहना

नाटक की प्रस्तुति के बाद दर्शकों ने इसे एक सशक्त और विचारोत्तेजक नाट्य मंचन बताया। कला समीक्षकों और उपस्थित रंगप्रेमियों ने कहा कि ‘मरणोपरांत’ केवल एक नाटक नहीं, बल्कि रिश्तों के भावनात्मक द्वंद्व की गहरी पड़ताल है।

संस्था ने ‘रंगमार्च स्टूडियो’ और सभी रंगप्रेमियों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस नाट्य आयोजन को सफल बनाया।

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