पेट्रोल-डीजल पर सरकार ने बढ़ाया उत्पाद शुल्क,

8 अप्रैल से लागू होंगे नए दर
खाड़ी में गिरते कच्चे तेल के बीच सरकार का फैसला, विपक्ष ने उठाए सवाल

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में ₹2 प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है, जो 8 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी। इस फैसले को वैश्विक तेल बाजार में उतार-चढ़ाव और अमेरिका की नई व्यापार नीतियों के मद्देनजर लिया गया है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है।

सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि इस बढ़ोतरी का सीधा असर खुदरा ईंधन कीमतों पर नहीं पड़ेगा। पेट्रोलियम मंत्रालय ने जानकारी दी कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण उपभोक्ताओं पर फिलहाल कोई अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जाएगा।

चुनावी मौसम में आया फैसला
लोकसभा चुनावों से ठीक पहले यह निर्णय सामने आया है, जबकि 14 मार्च को ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की गई थी। इससे पहले मई 2022 से लगातार खुदरा कीमतें स्थिर थीं और उस समय केंद्र ने दो बार उत्पाद शुल्क में कटौती की थी — पेट्रोल पर ₹13 और डीजल पर ₹16 प्रति लीटर।

बाजार में दिखी चिंता, तेल कंपनियों के शेयर गिरे
हालांकि सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत देने की बात कही है, लेकिन शेयर बाजार ने इस कदम को लेकर सतर्क रुख अपनाया। बीएसई पर तेल विपणन कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 2.80 प्रतिशत गिरकर ₹1170.95 पर बंद हुआ।
  • इंडियन ऑयल 1.65 प्रतिशत टूटकर ₹128 पर बंद हुआ।
  • हिंदुस्तान पेट्रोलियम 2.75 प्रतिशत गिरकर ₹348.20 पर पहुंचा।
  • भारत पेट्रोलियम में भी 1.34 प्रतिशत की गिरावट आई और यह ₹275.65 पर बंद हुआ।

कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट देखी गई। ब्रेंट क्रूड $2.23 की गिरावट के साथ $63.35 प्रति बैरल पर पहुंच गया, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे निचला स्तर है। वहीं, डब्ल्यूटीआई क्रूड $2.22 टूटकर $59.77 प्रति बैरल पर आ गया। बीते एक सप्ताह में ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई दोनों में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।

विपक्ष का हमला, जनता पर बोझ बढ़ाने का आरोप
सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की गिरती कीमतों का लाभ जनता को नहीं दिया, बल्कि कर बढ़ाकर आम आदमी की जेब पर चोट की है।

उन्होंने कहा, “2014 के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में 40 प्रतिशत से अधिक गिरावट आई है, लेकिन जनता को उसका लाभ नहीं मिला।” खड़गे ने सरकार की नीति को ‘कुंभकरणी नींद’ बताते हुए कहा कि शेयर बाजार में आई गिरावट से ₹19 लाख करोड़ की पूंजी स्वाहा हो गई है।

 

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