प्रशांत किशोर का बड़ा हमला: कहा— जदयू को एक भी सीट नहीं जीतने देना चाहिए

पटना। चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर करारा प्रहार करते हुए जदयू की हार की खुली अपील कर दी है। जन सुराज पार्टी के प्रमुख किशोर ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में जनता को जदयू को पूरी तरह नकार देना चाहिए, ताकि यह दल न भाजपा के साथ जा सके और न ही राजद के साथ।

नीतीश पर तीखा हमला, ‘शारीरिक रूप से थके, मानसिक रूप से रिटायर’

पटना में पत्रकारों से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाने के लिए लगातार गठबंधन बदलते रहे हैं। सीटें घटने के बावजूद उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी बनाए रखी। अब वे शारीरिक रूप से थक चुके हैं और मानसिक रूप से रिटायर हो चुके हैं।”

किशोर ने नीतीश कुमार के पिछले राजनीतिक फैसलों पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि 2013 में भाजपा से नाता तोड़ने के बाद 2015 में राजद के साथ गठबंधन किया, फिर 2017 में भाजपा के साथ लौट आए। 2022 में महागठबंधन में जाने के बाद, 2023 में फिर एनडीए का हिस्सा बन गए। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला खत्म करने का एकमात्र तरीका यही है कि जनता जदयू को पूरी तरह नकार दे।

कैबिनेट विस्तार को लेकर भाजपा पर हमला

प्रशांत किशोर ने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “भाजपा, नीतीश कुमार को केवल एक मुखौटे के रूप में इस्तेमाल कर रही है। हाल ही में हुए कैबिनेट विस्तार का मकसद सुशासन नहीं, बल्कि चुनाव से पहले जातीय संतुलन साधना और सत्ता का लाभ बांटना था।”

‘बदलो बिहार’ रैली की घोषणा, रिकॉर्ड तोड़ने का दावा

प्रशांत किशोर ने ‘बदलो बिहार’ रैली की घोषणा करते हुए कहा कि यह 11 अप्रैल को पटना में आयोजित होगी और इसमें ऐतिहासिक भीड़ जुटेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि “सरकार इस रैली से घबराई हुई है और इसे रोकने के लिए प्रशासन से अनुमति देने में बाधा डाल सकती है।”

किशोर ने हाल ही में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर उपवास किया था, जिसके दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई। उन्होंने इसे “राजनीतिक दमन” करार दिया और कहा कि सरकार उनकी बढ़ती लोकप्रियता से घबराई हुई है।

नीतीश कुमार के बेटे पर भी टिप्पणी

जब उनसे नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के राजनीतिक भविष्य पर सवाल किया गया, तो किशोर ने इसे “गैर-जरूरी बहस” बताया। उन्होंने कहा, “अगर नीतीश कुमार बिना कागज देखे अपने मंत्रियों के नाम गिना दें, तो मैं राजनीति छोड़कर उनकी छत्रछाया में काम करने को तैयार हूं।”

 

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