रमज़ान का संदेश : आत्मसंयम, धैर्य और ईश्वर के प्रति समर्पण
पत्रकारों ने रोज़ा इफ्तार पर पेश की मोहब्बत की मिसाल

गोरखपुर। इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के तत्वावधान में गाजी रौजा स्थित राष्ट्रीय प्रशासनिक कार्यालय में सामूहिक रोज़ा इफ्तार का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया के पत्रकारों ने शिरकत कर आपसी भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम दिया। इफ्तार पार्टी में पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर मोहब्बत का दस्तरखान सजाया और रमज़ान की रूहानी पाकीज़गी को साझा किया।

इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सेराज अहमद कुरैशी ने कार्यक्रम की अगुवाई करते हुए कहा कि रमज़ान आत्मसंयम और ईश्वर के प्रति समर्पण का महीना है। रोज़ा केवल भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और नैतिकता का प्रशिक्षण है। उन्होंने कहा कि रोज़े का मकसद व्यक्ति में धैर्य, संयम और सहिष्णुता का विकास करना है, जिससे समाज में प्रेम और सौहार्द्र बना रहे।

वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार ने कहा कि रमज़ान का महीना न केवल मुसलमानों के लिए, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए सबक देता है। इस पवित्र महीने में इंसान अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखता है और जरूरतमंदों की मदद कर दया और सेवा का संदेश देता है।

इफ्तार में वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार, सुभाष गुप्ता, मुर्तुजा रहमानी, अजीत कुमार यादव, तनवीर आज़ाद, नवेद आलम, अवनीश त्रिपाठी, मोहम्मद शहाब, अफरोज़ अहमद, मोहम्मद अहमद खान, अंशुल वर्मा, रफी अहमद अंसारी, डॉ. अतीक अहमद, मोईन सिद्दीकी, जुबेर आलम, ख्वाजा जियाउद्दीन, डॉ. शकील अहमद, दानिश खान, मोहम्मद इस्माइल, सतीश चंद, अजमेर आलम, इरफानुल्लाह खान, अहद करीम खान, मिन्हाज़ सिद्दीकी, आशुतोष कुमार, हाजी अहमद, हाजी मुख्तार कुरैशी, रफीक अहमद, दीपक त्रिपाठी सहित अनेक पत्रकार और समाजसेवी मौजूद रहे।

कार्यक्रम में मौजूद पत्रकारों ने एक सुर में कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में फैल रही नफरत और वैमनस्यता को मिटाया जा सकता है। रोज़ा इफ्तार जैसे कार्यक्रम आपसी सौहार्द्र और भाईचारे को बढ़ावा देने का सशक्त माध्यम हैं।

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