पाँच नाबालिगों को बचाया
मुंगेर।
पूर्व रेलवे और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने मानव तस्करी के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाते हुए पाँच नाबालिग लड़कों को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया है। यह अभियान पाकुड़ रेलवे स्टेशन पर चलाया गया, जहां ट्रेन में सवार दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया। यह घटना 25 नवंबर की है और इसे रेलवे सुरक्षा बल की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई का नतीजा माना जा रहा है।
सूचना पर की गई त्वरित कार्रवाई
आरपीएफ को यह सूचना बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के सहायक परियोजना अधिकारी से मिली थी, जिसमें बताया गया था कि ट्रेन संख्या 15228 एसएमवीटी बेंगलुरु एक्सप्रेस में नाबालिगों को तस्करी के उद्देश्य से ले जाया जा रहा है। सूचना मिलते ही पाकुड़ आरपीएफ टीम ने स्टेशन पर ट्रेन की तलाशी ली और दो संदिग्ध व्यक्तियों को पाँच नाबालिग लड़कों के साथ पकड़ा।
तस्करी के झूठे वादे और गिरफ्तारी
गिरफ्तार व्यक्तियों की पहचान अररिया के 29 वर्षीय मोहम्मद सिरवान और पूर्णिया के 19 वर्षीय मोहम्मद तजमुल के रूप में हुई है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि दोनों आरोपी नाबालिग लड़कों को जबरन मजदूरी के लिए चेन्नई और बेंगलुरु ले जाने का प्रयास कर रहे थे। तस्करों ने पीड़ितों को रोजगार के झूठे वादों का लालच देकर अपने जाल में फंसाया था।
महत्वपूर्ण सबूत बरामद
आरपीएफ टीम ने आरोपियों से मोबाइल फोन, आधार कार्ड और रेलवे टिकट सहित कई महत्वपूर्ण सबूत बरामद किए। बचाए गए नाबालिगों को कानूनी प्रक्रिया और पुनर्वास के लिए सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) बेलूर को सौंप दिया गया है। वहीं, आरोपियों के खिलाफ बीएनएस और बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
आरपीएफ की सतर्कता की सराहना
पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कौशिक मित्रा ने बताया कि यह सफलता आरपीएफ की सतर्कता और कमजोर वर्गों की सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का उदाहरण है। रेलवे के अधिकारियों और कर्मचारियों को मानव तस्करी की पहचान और रोकथाम के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है।
यह अभियान आरपीएफ की तत्परता और समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा के प्रति उसकी जिम्मेदारी को दर्शाता है। रेलवे प्रशासन ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि वे इस प्रकार की घटनाओं की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें।