आरजेडी को मिला नया प्रदेश अध्यक्ष, मंगनी लाल मंडल निर्विरोध निर्वाचित
अतिपिछड़ा वर्ग से पहली बार किसी पार्टी ने बनाया प्रदेश अध्यक्ष, तेजस्वी ने कहा – सामाजिक न्याय को धरातल पर उतारने की ऐतिहासिक पहल
पटना।
राजद (राष्ट्रीय जनता दल) ने शनिवार को बिहार में अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा करते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। पार्टी की ओर से मंगनी लाल मंडल को निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है। खास बात यह है कि वे बिहार के किसी भी राजनीतिक दल द्वारा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने वाले पहले अतिपिछड़ा वर्ग के नेता हैं। यह फैसला न सिर्फ पार्टी के भीतर एक सामाजिक संतुलन को दर्शाता है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक दलों को एक नई दिशा देता नजर आ रहा है।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर तस्वीरें साझा करते हुए मंगनी लाल मंडल को मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं दीं और उनके नए कार्यकाल के लिए विश्वास जताया। उन्होंने लिखा, “हमारी पार्टी ने एक बार फिर सामाजिक न्याय की अवधारणा को सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे ज़मीन पर उतारा है। राजद वह पहली पार्टी है जिसने अपने संगठन में दलितों और अतिपिछड़ों को प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण लागू किया।”
तेजस्वी यादव ने यह भी स्पष्ट किया कि इससे पहले पार्टी ने अनुसूचित जाति, मुस्लिम, पिछड़ा और सवर्ण वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बनाए थे, लेकिन यह पहली बार है जब किसी अतिपिछड़ा वर्ग के समाजवादी नेता को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। “मंगनी लाल मंडल जी का अनुभव, संघर्ष और संगठनात्मक समझ पार्टी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा,” उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा।
इस मौके पर निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के कार्यकाल की भी प्रशंसा की गई। तेजस्वी ने कहा, “85 वर्ष की आयु में भी जिस समर्पण, अनुशासन और कर्मठता से जगदानंद सिंह जी ने यह जिम्मेदारी निभाई, वह अविस्मरणीय है। उनका कार्यकाल पार्टी के लिए सकारात्मक बदलाव और नीतिगत मजबूती का प्रतीक रहा है।”
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मंगनी लाल मंडल के नामांकन के बाद किसी अन्य नेता ने इस पद के लिए दावेदारी नहीं की, जिससे उनका निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच इस निर्णय को लेकर उत्साह देखा गया, खासकर ग्रामीण और पिछड़े वर्ग के कार्यकर्ताओं में जो खुद को इस फैसले से सीधे जुड़ा महसूस कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम आगामी चुनावों में राजद के सामाजिक समीकरण को और मज़बूत कर सकता है। यह नियुक्ति न केवल पार्टी के लिए रणनीतिक रूप से अहम है बल्कि बिहार की राजनीति में अतिपिछड़ा वर्ग की राजनीतिक उपस्थिति को भी एक नया मुकाम देती है।