सामाजिक न्याय के रंग में रंगा बिहार: लालू यादव के 78वें जन्मदिवस पर जनसेवा की अनूठी मिसाल
टीडब्ल्यूएम न्यूज़ डेस्क | पटना, 11 जून 2025
भारतीय राजनीति के मसीहा, सामाजिक न्याय के मजबूत स्तंभ और बहुजन चेतना के अप्रतिम योद्धा लालू प्रसाद यादव आज 78 वर्ष के हो गए। इस खास मौके पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि उनके नेता का जन्मदिन अब केवल एक पारिवारिक अवसर नहीं, बल्कि सामाजिक सेवा और समरसता का पर्व बन चुका है।
राजद ने 11 जून को “सामाजिक सद्भावना दिवस” के रूप में मनाते हुए पूरे बिहार और झारखंड समेत देश के विभिन्न हिस्सों में जनहित से जुड़े कई कार्यक्रमों का आयोजन किया। इसमें भोजन वितरण, शैक्षिक सामग्री का वितरण, पौधारोपण और रक्तदान शिविर जैसे कार्य शामिल रहे।
राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बताया कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने टोला-टोला और गांव-गांव जाकर स्कूली बच्चों को पठन सामग्री दी और ज़रूरतमंदों के बीच भोजन वितरण किया। साथ ही हजारों की संख्या में पौधे लगाकर पर्यावरण सुरक्षा के साथ-साथ लालू यादव की राजनीतिक सोच और प्रकृति प्रेम का प्रतीकात्मक संदेश भी दिया गया।
78 पाउंड का केक और समाजवाद की मिठास
पटना स्थित पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में 78 पाउंड का विशाल केक काटा गया। केक की मिठास में सामाजिक सौहार्द की सुगंध घुली रही, और समारोह में लालू परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे। माहौल पूरी तरह पारिवारिक और राजनीतिक ऊर्जा से भरा हुआ दिखा।
बेटियों का भावुक संदेश: ‘हमारे सुपरमैन पापा’
इस मौके पर लालू यादव की छोटी बेटी डॉ. रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक भावुक संदेश लिखा, जिसमें उन्होंने अपने पिता को “प्रेरणा”, “कवच” और “सुपरमैन” जैसे शब्दों से संबोधित कर जन्मदिन की बधाई दी।
उन्होंने लिखा—
“हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा, हमारी ताकत, हमारे कवच, हमारे आदर्श, हमारे गौरव, हमारे मार्गदर्शक, हमारे सुपरमैन—हमारे पापा को जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं। हैप्पी बर्थडे पापा।”
वहीं बड़ी बेटी डॉ. मीसा भारती ने भी केक काटकर अपने पिता के दीर्घायु जीवन की कामना की और उन्हें “सामाजिक न्याय की आवाज़” बताया।
विवादों से परे, विचारों की विरासत
लालू यादव का राजनीतिक जीवन भले ही समय-समय पर विवादों के घेरे में रहा हो, लेकिन उनके द्वारा उठाई गई सामाजिक न्याय की आवाज़ ने करोड़ों वंचितों को नई पहचान दी है। यही कारण है कि अब उनके जन्मदिन को सिर्फ निजी उत्सव नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन के रूप में देखा जा रहा है।
राजद ने जिस प्रकार इस दिन को सेवा और संवेदना के साथ जोड़ा, वह साफ संकेत है कि लालू प्रसाद यादव की विचारधारा आने वाले समय में भी जनमानस को दिशा देती रहेगी।