पटना

बिहार की लोक परंपराओं को राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाली लोकगायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। बिहार की ‘कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध सिन्हा लंबे समय से रक्त कैंसर की बीमारी से जूझ रही थीं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा के अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ पटना में आयोजित करने की घोषणा की है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, शारदा सिन्हा को 2018 में मल्टीपल मायलोमा (ब्लड कैंसर) का पता चला था और तब से उनका इलाज चल रहा था। हाल ही में 26 अक्टूबर को उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां सोमवार रात उनकी हालत नाजुक हो गई थी। उनके पुत्र अंशुमन ने फैंस से मां की सलामती के लिए दुआएँ मांगने की अपील की थी, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद मंगलवार सुबह शारदा सिन्हा ने अंतिम सांस ली।

शारदा सिन्हा की गायिकी ने बिहार के पारंपरिक छठ गीतों को पूरे देश में पहचान दिलाई। उन्होंने अपने करियर में 62 छठ गीत गाए, जिन्हें हर छठ पर्व पर गुनगुनाए बिना त्योहार अधूरा माना जाता था। उनका अंतिम छठ गीत ‘दुखवा मिटाईं छठी मइया’ लोगों के बीच आज भी लोकप्रिय है। सिन्हा ने सिर्फ भोजपुरी और मैथिली में ही नहीं, बल्कि बॉलीवुड में भी कई यादगार गाने दिए। सलमान खान की फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ का विदाई गीत ‘बाबुल’ और ‘मैंने प्यार किया’ का गाना ‘कहे तोसे सजना’ उनकी आवाज में सदाबहार बने हुए हैं।

शारदा सिन्हा को 1991 में पद्म श्री और 2018 में पद्म भूषण से नवाजा गया था। उनके निधन से फैंस और संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है। आज सुबह 9.40 बजे उनके पार्थिव शरीर को पटना लाया जाएगा, जहां उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।

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