प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान और इंजीनियरिंग में नवीन शोध विषयों पर विशेषज्ञों ने रखे विचार
पटना, 25 जनवरी 2025 – सेंट जेवियर्स कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, पटना के रिसर्च सेल और भार्गव फाउंडेशन फॉर रिसर्च एंड एजुकेशन के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ‘परिवर्तनशील प्रवृत्तियां: सामाजिक विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रबंधन में नवाचार’ विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और शोधार्थियों ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक एवं कॉलेज के रेक्टर फादर जोसेफ सेबेस्टियन एसजे ने संगोष्ठी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि समाज और उद्योगों में आ रहे बदलावों को समझना और नए दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। कॉलेज के प्राचार्य फादर डॉ. मार्टिन पोरस एसजे ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि यह संगोष्ठी शिक्षाविदों को नवीनतम प्रवृत्तियों पर चर्चा करने का एक उत्कृष्ट मंच प्रदान कर रही है।
संगोष्ठी के संयोजक श्री पीयूष रंजन सहाय ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि यह आयोजन नवाचार, अनुसंधान और अंतःविषय संवाद को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रमुख वक्ताओं ने रखे विचार
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता साहिबगंज कॉलेज, झारखंड के रसायन विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार ने अपने संबोधन में विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘परिवर्तनशील प्रवृत्तियां’ विषय आधुनिक समय की आवश्यकताओं को दर्शाता है। इसके अलावा, ऑनलाइन माध्यम से जुड़े प्रमुख वक्ताओं में मिजोरम स्थित गवर्नमेंट कमलानगर कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सत्यजीत दास और फकीर मोहन विश्वविद्यालय, बालासोर के सामाजिक विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गीताांजली पांडा शामिल रहे।
डॉ. दास ने नवाचार और तकनीकी समावेशन पर बल दिया, जबकि डॉ. पांडा ने भारतीय ज्ञान प्रणाली, मानवाधिकार, जीएसटी के प्रभाव और विमुद्रीकरण जैसे विषयों पर चर्चा की।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के हिमांशु कुमार ने किया।
तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत हुए शोध पत्र
संगोष्ठी में चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें विभिन्न शिक्षाविदों और शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इन शोध पत्रों में “कृत्रिम बुद्धिमत्ता: लाभ, चुनौतियाँ और नैतिक पहलू,” “भारतीय अर्थव्यवस्था में जीएसटी का प्रभाव,” “सोशल मीडिया और युवा छात्रों में अवसाद,” “जैविक विषाक्त पदार्थों के निष्प्रभावीकरण में माइकोटॉक्सिन्स की भूमिका,” और “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम” जैसे विविध विषयों को शामिल किया गया।
समापन सत्र में नवाचार और अनुसंधान को मिली सराहना
संगोष्ठी के समापन सत्र में कॉलेज के उप-प्राचार्य और संगोष्ठी के आयोजक फादर डॉ. शैरी जॉर्ज एसजे ने अपने संबोधन में कहा कि यह आयोजन नवीन ज्ञान के आदान-प्रदान और अनुसंधान प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने का एक सफल प्रयास रहा। सह-संयोजक डॉ. कल्पना कुमारी ने संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए इसे समाज विज्ञान, प्रबंधन और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों को समझने का एक अनूठा मंच बताया।
मुख्य वक्ता इंदिरा गांधी कॉलेज, बोंगाईगांव, असम के समन्वयक डॉ. हसीन अली अहमद ने इस संगोष्ठी को आधुनिक विषयों पर गहन विमर्श का उत्कृष्ट अवसर बताया। समापन सत्र में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और इस संगोष्ठी को परिवर्तनशील प्रवृत्तियों पर महत्वपूर्ण संवाद स्थापित करने वाला आयोजन बताया।
कार्यक्रम का समापन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. शिल्पी कविता के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।