रेलकर्मी रणजीत सिंह मौत प्रकरण पर मानवाधिकार आयोग सख्त,चिकित्सकों पर सख्त कारवाई की आशंका

मानवाधिकार आयोग ने सख्ती से पुन: जाँच के लिए डीजी (एनएचआरसी) को लिखा पत्र,संज्ञान लेते हुए चार सप्ताह में माँगा जाँच रिपोर्ट,सख्त कारवाई की आशंका

तीन सदस्यीय जाँच कमिटि के नाम पर खानापूर्ति,मामले के लीपापोती की आशंका : राहुल देव सिंह

पूर्व रेलवे मुख्य अस्पताल में रणजीत सिंह के चिकित्सीय लापरवाही में हुई मौत पर केन्द्रीय सतर्कता आयोग भी कर रहा गंभीरतापूर्वक जाँच।

एनएचआरसी के कड़े फटकार एवं कारवाई के डर से रेलवे महाप्रबंधक नें तीन सदस्यीय जाँच कमिटि से करवाया था जाँच,मृतक के परिजन भी हुए थे जांच में शामिल।

मानवाधिकार आयोग में एक साल से अधिक समय से चल रही है सुनवाई

 

मुंगेर: राहुल देव सिंह ने विगत 25 जून 2022 को पूर्व रेलवे मुख्य अस्पताल के आईसीयू विभाग में अपने पिता रणजीत सिंह के लचर चिकित्सीय व्यवस्था एवं चिकित्सक की गैर जिम्मेदाराना लापरवाही पर रेलवे बोर्ड,नई दिल्ली के वरीय अधिकारियों,रेलवे के डीजी (आरएचएस) सहित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग संगठन को पूर्व रेलवे मुख्य अस्पताल जमालपुर में मुख्य/सहायक चिकित्सा अधीक्षक सहित चिकित्सक एवं ब्रदर लोकेश कुमार मीणा पर सख्त कारवाई करते हुए मृतक के परिजनों ने न्याय की गुहार लगायी थी।

ध्यातव्य है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग संगठन (एनएचआरसी) नई दिल्ली ने वाद संख्या- 4602/90/0/2022 के आलोक में 22 अगस्त 2022 को रेलवे बोर्ड एवं पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक को एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) फाइल करने हेतु चार सप्ताह का समय निर्धारित किया था। अस्पताल प्रशासन नें समयावधि पूरी होने पर भी अपना रिपोर्ट नहीं सौंपा।

तत्पश्चात रेलवे बोर्ड एवं पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक ने सख्ती दिखाते हुए पूर्व रेलवे जमालपुर मुख्य अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को फटकार लगाते हुए जाँच कर कड़ी कारवाई करने को निदेशित किया था।

इस सन्दर्भ में एनएचआरसी के द्वारा एटीआर की समयावधि पूरा होने के बाद मामले को लीपापोती करने के घृणित मानसिकता से पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट 10-09-2022 को एनएचआरसी को उपलब्ध करवाया था,जो पूर्णत: भ्रामक एवं संवेदनहीन था।जिससे मृतक के परिजन हतप्रभ एवं किंकर्तव्यविमूढ है।

मरीज की मृत्यु आक्सीजन के बगैर तड़प कर हो गया था।आईसीयू जैसे गंभीर संवेदनशील केंद्र से नदारद प्रभारी चिकित्सक तथागत दत्ता रेलवे के हास्टल में आराम कर रहे थे।मरीज के परिजन केन्द्रीय सुपर स्पेशलियटी,पटना रेफर करने की गुहार लगाते रहे परन्तु चिकित्सक तथागत दत्ता ने मनमाने तरीके से मरीज की गंभीर अवस्था को नजरअंदाज करते हुए बीआर सिंह अस्पताल सियालदह रेफर कर दिया था।

मृतक रणजीत सिंह के परिजन ने आक्रोशपूर्ण एवं बेबस होकर बताया की जाँच कमिटि मे एक ही अस्पताल के तीन चिन्हित चिकित्सकों से भ्रामक रिपोर्ट तैयार करवाया गया था।पीड़ित के परिजन को इस जाँच में शामिल नही करना मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के कुत्सित एवं विकृत मानसिकता का परिचायक था।

मृतक रणजीत सिंह के पुत्र राहुल देव सिंह ने बताया की रेलवे मुख्य अस्पताल के भ्रामक रिपोर्ट के खिलाफ एनएचआरसी में पुन: अपील परिवाद दाखिल किया।परिवाद अपील दायर करने की तिथि 22-12-2022, मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली के द्वारा निर्धारित किया गया था।पीड़ित परिजन ने आक्रोशपूर्ण एवं तल्ख लहजे में बताया कि ऐसे लापरवाह एवं गैर जिम्मेदार मुख्य/सहायक चिकित्सा अधीक्षक सहित उन तमाम चिकित्सक के साथ साथ ब्रदर लोकेश कुमार मीणा पर सख्त कारवाई करने हेतु एवं पूर्व रेलवे मुख्यालय के चिकित्सकों से जाँच करने की गुहार लगायेगा ताकि पूर्व रेलवे मुख्य अस्पताल जमालपुर में इलाजरत निम्नवर्गीय रेल कर्मचारीयों मरीजों को अकारण असमय बेवजह अपने जान से हाथ न धोना पड़े।

ज्ञातव्य हो कि पूर्व रेलवे मुख्य अस्पताल जमालपुर में 25 जून को हुए रणजीत सिंह के चिकित्सीय लापरवाही से हुए मौत पर केन्द्रीय सतर्कता आयोग भी गंभीरतापूर्वक जाँच कर रहा है।

एनएचआरसी ने भ्रामक रिपोर्ट के खिलाफ अपीलीय परिवाद पर सख्ती से संज्ञान लेते हुए पुन: रेलवे बोर्ड एवं महाप्रबंधक पूर्व रेलवे को पीड़ित परिजन को जाँच कमिटि में शामिल करने हेतु निदेशित करते हुए पुन: चार सप्ताह का समय दिया था।परन्तु रेल प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार से दो महीने तक जाँच पूरी नहीं हो सका।

तत्पश्चात एनएचआरसी ने सख्ती करते हुए जाँच कमिटि बनाकर पीड़ित पक्ष को शामिल करने अन्यथा की स्थिति में संवैधानिक कारवाई करने की अंतिम चेतावनी रेलवे बोर्ड एवं महाप्रबंधक पूर्व रेलवे को दिनांक 30-05-2023 को जारी किया।तब जाकर रेलवे बोर्ड एवं महाप्रबंधक कार्यालय हरकत में आया और चिकित्सक पदाधिकारी स्तर के तीन सदस्यीय जाँच टीम गठन कर दिनांक 28-07-2023 को पूर्व रेलवे मुख्य अस्पताल जमालपुर सुनवाई के लिए भेजा गया था।जिसमें मृतक रणजीत सिंह के परिजनों को भी शामिल किया गया था।

मृतक के पुत्र राहुल देव सिंह ने मर्माहत होकर तीन सदस्यीय जाँच कमिटि के समक्ष पूर्व रेलवे मुख्य अस्पताल जमालपुर में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ जेके प्रसाद एवं आईसीयू इंचार्ज डॉ तथागत दत्ता के द्वारा किये गये चिकित्सीय लापरवाही,कर्तव्यहीनता के बारे में निर्भीकता एवं बेबाकी से बताते हुए फफक कर रो पड़े थे।

इस सुनवाई में महाप्रबंधक पूर्व रेलवे कोलकाता के द्वारा तीन सदस्यीय रेलवे चिकित्सक की टीम भेजा था।जिन्होने मामले की लीपापोती करते हुए भ्रामक एवं तथ्यहीन रिपोर्ट बनाकर मानवाधिकार आयोग को सौंप दिया,जिससे पीड़ित के परिजन हतप्रभ एवं आक्रोशित है।पीड़ित पक्ष के द्वारा पुन: परिवाद दाखिल किया।जिसमें आयोग ने सख्ती दिखाते हुए मानवाधिकार आयोग के द्वारा नामित जाँच सदस्यीय टीम का गठन कर निष्पक्ष जाँच करने हेतु चार सप्ताह में रिपोर्ट सौपनें को निदेशित किया गया है।

परिजनों ने बताया की न्याय नहीं मिलने पर अंतिम साँस तक संघर्ष जारी रहेगा।रेलवे मुख्य अस्पताल के चिकित्सक रेलवे मेडिकल एक्ट का उल्लंघन कर अपने आवास पर रेलकर्मी का इलाज मोटी फीस लेकर बेरोक-टोक करते है।

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