मालदा राहत शिविर पहुंचे NHRC और NCW की टीमें
मालदा, 18 अप्रैल।
मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा से विस्थापित लोगों का दर्द जानने शुक्रवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की टीमों ने मालदा के राहत शिविरों का दौरा किया। इसी बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आग्रह के बावजूद राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने भी मालदा का दौरा कर पीड़ितों से मुलाकात की।
राज्यपाल ने साफ कहा कि वह जमीनी हकीकत जानने खुद आए हैं और अस्पतालों, पीड़ितों के घरों तथा राहत शिविरों का निरीक्षण कर अपनी सिफारिश केंद्र और राज्य सरकार को सौंपेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि मालदा दौरे के बाद वह मुर्शिदाबाद भी जाएंगे।
मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज, सुत्ती, धुलियन और जंगीपुर इलाकों में 11 और 12 अप्रैल को हुई हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है। दहशत के बीच सैकड़ों लोग पलायन कर मालदा में बने अस्थायी शिविरों में शरण लिए हुए हैं। इनमें से एक प्रमुख शिविर पर लालपुर हाई स्कूल में है, जहां NHRC की टीम ने पीड़ितों से बातचीत की और हालात का जायजा लिया। आयोग ने तीन हफ्तों के भीतर राज्य सरकार से विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है।
महिला आयोग की अध्यक्ष विजयारहाटकर ने भी दो दिवसीय दौरा शुरू करते हुए महिलाओं पर हिंसा और राहत कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय महिला आयोग ने विशेष जांच समिति गठित की है। हम पीड़ितों और प्रशासन से मिलकर पूरी स्थिति का मूल्यांकन करेंगे।”
इस बीच, घटनाक्रम ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने राज्यपाल और केंद्रीय टीमों पर राज्य में अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा, “जब मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया था, तब राज्यपाल को मालदा दौरा टाल देना चाहिए था। उनका उद्देश्य स्थिति को भड़काना है।”
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि टीएमसी “दंगाइयों को बचाने” में लगी है। प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, “NHRC और राज्यपाल की जांच से टीएमसी की मिलीभगत उजागर होने का डर सता रहा है।”
राहत शिविरों में तनाव की स्थिति भी सामने आई, जब कुछ पीड़ितों ने अधिकारियों पर घर लौटने का दबाव डालने का आरोप लगाया। एक पीड़ित ने कहा, “शिविरों में हालात जेल से भी बदतर हैं। हम तब तक वापस नहीं जाएंगे, जब तक धुलियन में BSF कैंप नहीं लगाया जाता।”
प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस बल की संयुक्त तैनाती की गई है। अब तक 274 लोगों को हिंसा में कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है।