‘ऑपरेशन सिंदूर’ से बदली भारत की रणनीति, अब हर हमले का होगा जवाब
पाकिस्तान को रणनीतिक चेतावनी, सेना को 50,000 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि
भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से पाकिस्तान की आतंक समर्थक नीति के विरुद्ध जो निर्णायक रुख अपनाया है, वह अब देश की नई रणनीति का संकेत बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री द्वारा दिए गए बयानों से स्पष्ट हो गया है कि अब भारत ‘रणनीतिक संयम’ की नीति से हटकर ‘लागत थोपने वाली नीति’ की ओर बढ़ चला है।
बीते 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने सिर्फ सैन्य कार्यवाही ही नहीं की, बल्कि सिंधु जल संधि को भी अस्थायी रूप से निलंबित कर पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया कि अब हर हमले की कीमत चुकानी होगी।
चार दिन तक चला जवाबी हमला, पाकिस्तान को करनी पड़ी सीजफायर की अपील
सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने LOC और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के भीतर आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। चार दिन तक चली इस सैन्य मुहिम में ड्रोन और मिसाइल स्ट्राइक शामिल थे, जिससे पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ।
10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ ने बिना किसी शर्त के संघर्षविराम की मांग की, जो भारत की सामरिक सफलता को दर्शाता है।
भारत की रणनीति में बदलाव के चार प्रमुख कारण
भारत की नई नीति के पीछे चार मुख्य बिंदु माने जा रहे हैं:
- पाकिस्तान की ‘ग्रे ज़ोन वॉरफेयर’ नीति स्थायी हो चुकी है, और वह अपनी आतंकी गतिविधियों से पीछे हटने वाला नहीं है।
- पड़ोसी की यह जिद भारत की अकेली समस्या है, जिससे देश की सुरक्षा, सामाजिक ढांचा और अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।
- केवल हमले की धमकी देना अब पर्याप्त नहीं, बल्कि वास्तविक प्रतिकार ही इकलौता उपाय है।
- केवल सैन्य नहीं, कूटनीतिक, आर्थिक, और वैचारिक मोर्चे पर भी दबाव बनाना होगा। ऑपरेशन सिंदूर अभी केवल सैन्य पहलू है, जल्द ही अन्य मोर्चों पर भी गतिविधियां तेज़ होंगी।
50,000 करोड़ का अतिरिक्त बजट, सिंधु जल संधि भी रोकी गई
रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों को 50,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्रदान की है, ताकि पाकिस्तान से बेहतर सैन्य बढ़त को बनाए रखा जा सके। भारत ने नदियों के जल प्रवाह पर नियंत्रण स्थापित कर सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि झेलम और चिनाब जैसी नदियों के जल प्रवाह को रोकने की दिशा में भारत का यह कदम पाकिस्तान की आर्थिक और कृषि व्यवस्था पर बड़ा असर डालेगा।
दुनिया को बताएगा भारत: कूटनीतिक मिशन पर रवाना होंगे सांसद
भारत अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के औचित्य को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष प्रस्तुत करने की तैयारी में है। इसके लिए एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों का दौरा करेगा। मकसद यह है कि पाकिस्तान को एक आतंक समर्थक राष्ट्र के रूप में विश्व मंच पर बेनकाब किया जाए।
बेलुच विद्रोह को मिल सकती है परोक्ष सहायता
सूत्रों की मानें तो भारत ने बलूचिस्तान में पाकिस्तान सेना के विरुद्ध सक्रिय बलूच लिबरेशन आर्मी को परोक्ष रूप से समर्थन देना प्रारंभ कर दिया है। इस विद्रोह ने अब पाकिस्तान के भीतर भी असंतोष की चिंगारी को हवा देनी शुरू कर दी है।
रणनीतिक संयम से लागत थोपने की ओर भारत
भारत की यह नई नीति न केवल पाकिस्तान को कड़ा संदेश देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अब आतंकी हमलों को बिना जवाब के छोड़ने का दौर समाप्त हो चुका है। यद्यपि दीर्घकालीन समाधान राजनीतिक और द्विपक्षीय ही हो सकता है, लेकिन वर्तमान रणनीति यह सुनिश्चित करती है कि भारत की प्रगति, सुरक्षा और तकनीकी उन्नति किसी भी सूरत में बाधित न हो।
रिपोर्ट: अमर शर्मा