‘थग लाइफ’ नहीं, थकाने वाली फिल्म निकली: मणिरत्नम-कमल हासन की जोड़ी ने किया दर्शकों को निराश
38 वर्षों बाद ‘नायकन’ जैसी ऐतिहासिक फिल्म देने वाली जोड़ी — निर्देशक मणिरत्नम और अभिनेता कमल हासन — जब एक बार फिर साथ आए, तो दर्शकों की उम्मीदें आसमान छू रही थीं। परन्तु सिनेमाघरों में रिलीज हुई उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘थग लाइफ’ उम्मीदों की दीवारों को तोड़ती नहीं, बल्कि मलबे में बदलती नजर आई।
फिल्म का ट्रेलर जहां दर्शकों को रहस्यमयी और इंटेंस कहानी का वादा करता है, वहीं सिनेमाघरों में दर्शकों को मिला एक उलझी हुई, असंवेदनशील और बिखरी हुई पटकथा का अनुभव। तीन घंटे लंबी यह फिल्म, शुरुआत से ही न कहानी में पकड़ बना पाई और न किरदारों में जान डाल पाई।
खर्चा बड़ा, असर जीरो
फिल्म में बड़े बजट और दिग्गज कलाकारों की भरमार है, लेकिन स्क्रीन पर इनका प्रभाव कहीं नजर नहीं आता। ऐसा प्रतीत होता है कि न कहानी का सिर-पैर स्पष्ट था और न ही संपादन का कोई तालमेल। कई दृश्य और संवाद ऐसे लगे जैसे किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले जा रहे हों, न कि किसी फिल्म के किरदारों द्वारा निभाए जा रहे हों।
कमल हासन और एसटीआर से उम्मीद थी चमत्कार की, मिली झुंझलाहट
कमल हासन जैसे अनुभवी अभिनेता के संवाद ऐसे लगते हैं जैसे वह किसी प्रेस मीटिंग में बैठे हों, जबकि एसटीआर (सिलंबरसन) पूरी फिल्म में जैसे खुद ही स्क्रिप्ट समझने की कोशिश कर रहे हों। फिल्म के अन्य कलाकार जैसे ट्रिशा कृष्णन और ऐश्वर्या लक्ष्मी को पर्याप्त स्क्रीन टाइम और उद्देश्य नहीं मिला। ट्रिशा का किरदार तो मानो केवल कैमियो बनकर रह गया।
तकनीकी पक्ष भी नहीं बचा साख
आर. रवि वर्मन की सिनेमैटोग्राफी भले ही कुछ फ्रेम्स में सुंदरता लाती है, लेकिन जब कहानी ही अनुपस्थित हो तो visuals भी स्क्रीनसेवर लगने लगते हैं। ए.आर. रहमान का संगीत सुनने में अच्छा है, लेकिन फिल्म के दृश्यों से मेल न खाने के कारण यह प्रभाव खो बैठता है।
फिल्म को मिली सोशल मीडिया पर आलोचना
फिल्म रिलीज के बाद सोशल मीडिया पर दर्शकों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। किसी ने इसे “सिनेमा नहीं, सजा” बताया तो किसी ने इसे “वक्त और उम्मीदों की डकैती” करार दिया।
कुल मिलाकर निष्कर्ष यही कि:
‘थग लाइफ’ एक ऐसी फिल्म बनकर रह गई है, जो दर्शकों को न केवल निराश करती है, बल्कि मणिरत्नम और कमल हासन जैसे नामों की साख पर भी सवाल खड़े करती है। यह फिल्म एक सुनहरा अवसर था जिसे खराब लेखन, अराजक संपादन और कमजोर निर्देशन ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया।
शीर्षक की बात करें तो फिल्म भले ही ‘थग लाइफ’ हो, लेकिन दर्शकों के लिए यह बनी ‘थक लाइफ’।
– TWM न्यूज़ रिपोर्ट