अरब सागर में भारतीय नौसेना का जलवा: आईएनएस सूरत से एमआर-एसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण
स्वदेशी रक्षा क्षमता में एक और उपलब्धि, तंजानिया में ‘AIKEYME’ अभ्यास भी संपन्न
नई दिल्ली/अरब सागर। भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपनी सैन्य तैयारी और तकनीकी दक्षता का जोरदार प्रदर्शन करते हुए गाइडेड मिसाइल विध्वंसक पोत आईएनएस सूरत से मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (MR-SAM) का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तान नौसेना द्वारा इसी समुद्री क्षेत्र में सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण प्रस्तावित है।
भारतीय नौसेना ने इस सफलता की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए बताया, “आईएनएस सूरत ने एक समुद्र की सतह के पास उड़ान भरने वाले लक्ष्य पर सटीक निशाना साधते हुए मिसाइल को सफलतापूर्वक दागा। यह हमारी वायु रक्षा प्रणाली की सुदृढ़ता का प्रतीक है।”
स्वदेशी तकनीक की नई ऊंचाई
आईएनएस सूरत, प्रोजेक्ट 15बी के तहत निर्मित चौथा और अंतिम विध्वंसक पोत है, जिसमें 75% स्वदेशी उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है। यह पोत अत्याधुनिक हथियार प्रणाली, सेंसर नेटवर्क और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताओं से लैस है, जो इसे विश्व के सबसे शक्तिशाली विध्वंसकों में शुमार करता है।
MR-SAM प्रणाली की विशेषताएं
यह मिसाइल प्रणाली हवा से आने वाले खतरों को, जैसे कि क्रूज़ मिसाइल, विमान और अन्य प्रक्षेपास्त्रों को नष्ट करने की क्षमता रखती है। इस प्रणाली के जुड़ने से नौसेना की बहुस्तरीय वायु रक्षा कवच और अधिक सशक्त हुआ है।
तंजानिया में सहयोग की मिसाल
इस बीच भारतीय नौसेना के दो जहाज – आईएनएस चेन्नई और आईएनएस केसरी ने तंजानिया के दार एस सलाम बंदरगाह से प्रस्थान कर ‘AIKEYME’ नामक पहले समुद्री सहयोग अभ्यास का सफलतापूर्वक समापन किया। यह अभ्यास भारतीय नौसेना और तंजानिया पीपुल्स डिफेंस फोर्स (TPDF) के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग को दर्शाता है।
अभ्यास के समापन समारोह में तंजानिया के चीफ ऑफ पर्सनल मेजर जनरल गागुटी और भारत के रक्षा सहचारी कॉमोडोर अग्यपाल सिंह ने भाग लिया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और संयुक्त समीक्षा के साथ यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।
समुद्री शक्ति के रूप में उभरता भारत
चाहे मिसाइल परीक्षण हो या अंतरराष्ट्रीय समुद्री अभ्यास, भारतीय नौसेना इन दोनों मोर्चों पर पूरी तत्परता और आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ रही है। यह घटनाएं भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बल देने के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र में उसकी प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में स्थिति को और अधिक मजबूत करती हैं।