भारत कुमार मनोज कुमार पंचतत्व में विलीन राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
मुंबई के पवन हंस श्मशान घाट पर दी गई तीन तोपों की सलामी, सिनेमा और देशभक्ति का युग समाप्त
मुंबई।
देशभक्ति के प्रतीक और सिनेमा के ‘भारत कुमार’ कहे जाने वाले दिग्गज अभिनेता व फिल्मकार मनोज कुमार का शनिवार को मुंबई के पवन हंस श्मशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस अवसर पर उन्हें तीन तोपों की सलामी दी गई। उनके पुत्र विशाल और कुनाल ने उन्हें मुखाग्नि दी।
87 वर्षीय मनोज कुमार का शुक्रवार को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा गया और सुबह 10:30 बजे उनके निवास से अंतिम यात्रा निकाली गई, जो राष्ट्रीय रंगों के फूलों से सुसज्जित वाहन में पवन हंस श्मशान घाट पहुंची।
श्मशान घाट पर बॉलीवुड की तमाम हस्तियां मौजूद रहीं। अमिताभ बच्चन, सलीम खान, अभिषेक बच्चन, सुभाष घई, अरबाज़ खान, अनु मलिक, प्रेम चोपड़ा, राजपाल यादव समेत कई दिग्गजों ने मनोज कुमार को अंतिम विदाई दी। उनके निधन की खबर के बाद प्रेम चोपड़ा, रज़ा मुराद, ज़ायद खान सहित कई कलाकार उनके निवास पर भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे।
मनोज कुमार ने अपने सिने करियर में ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘क्रांति’, ‘शहीद’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ जैसी फिल्मों से देशभक्ति की भावना को परदे पर जीवंत किया। उनकी फिल्म ‘उपकार’ को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें 1992 में पद्मश्री और 2015 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था।
24 जुलाई 1937 को पाकिस्तान के एबटाबाद में जन्मे हरिकृष्ण गोस्वामी, सिनेमा जगत में ‘मनोज कुमार’ बने और फिर ‘भारत कुमार’ के रूप में जनमानस के दिलों में अमर हो गए। उनकी फिल्मों में राष्ट्रवाद, त्याग और सेवा की भावना के साथ-साथ आमजन की समस्याओं की गूंज भी थी।
उनकी मृत्यु के बाद धर्मेंद्र, मधुर भंडारकर समेत कई फिल्मी हस्तियों और नेताओं ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया।
जैसे ही चिता की अग्नि में वह पंचतत्व में विलीन हुए, एक युग का अंत हो गया। मनोज कुमार अब नहीं हैं, लेकिन उनका सिनेमा और राष्ट्र के प्रति प्रेम सदैव अमर रहेगा।
रिपोर्ट – जुवेरिया ज़फ़र
(मीडिया छात्र, पटना)