बस्टर कीटन के सिनेमा का जादू लौटेगा पटना में, ‘हाउस ऑफ वेराइटी’ में होगा छह दिवसीय फ़िल्म उत्सव

पटना, 11 मई। सिनेमा के मूक युग के महान कलाकार बस्टर कीटन की याद में पटना एक बार फिर फ़िल्म प्रेमियों का ठिकाना बनने जा रहा है। ‘हाउस ऑफ वेराइटी, पटना’ 13 से 18 मई 2025 तक बस्टर कीटन फ़िल्म उत्सव का आयोजन करने जा रहा है, जिसमें उनकी कालजयी फिल्मों का प्रदर्शन और उनके सृजन पर विमर्श होगा। हर दिन शाम 6 बजे से होने वाले इस विशेष आयोजन में सिनेमा की उन दुर्लभ कृतियों को दिखाया जाएगा, जिनमें संवाद की जगह हाव-भाव और मौन ने जादू रचा था।

इस फ़िल्म समारोह में ‘द कैमरामैन’, ‘शेरलौक जूनियर’, ‘स्टीमबोट बिल जूनियर’, ‘आवर हॉस्पिटालिटी’, ‘कॉप्स’, ‘प्ले हाउस’ और ‘द जेनरल’ जैसी सात प्रमुख फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही शहर के जाने-माने फ़िल्म विशेषज्ञ और सिनेप्रेमी बस्टर कीटन के जीवन और उनके फिल्मी सफर पर चर्चा करेंगे।

बस्टर कीटन — जिनका जन्म 1885 में हुआ और निधन 1966 में — सिनेमा की उस धारा के प्रतिनिधि थे, जहाँ अभिनय संवाद के बिना होता था, पर प्रभाव सीधे दिलों तक पहुँचता था। उन्होंने दिखाया कि मौन भी बोल सकता है, और वह भी इतनी गहराई से कि आज की अत्याधुनिक तकनीकें भी पीछे छूट जाएं।

उत्सव से जुड़े आयोजक सुमन सिन्हा, ज़िया हसन, डॉ कुमार विमलेंदु, कृष्ण समृद्ध, पुंज प्रकाश और संस्था ‘दस्तक’ का कहना है कि कीटन के सिनेमा की प्रासंगिकता आज भी बरकरार है। उनके फ़िल्मों की थीम — एक आम आदमी का दुनिया से संघर्ष — आज के सामाजिक परिप्रेक्ष्य में और भी गहराई पाती है।

प्रदर्शित होने वाली फिल्मों की सूची इस प्रकार है –

  • 13 मई: The Cameraman
  • 14 मई: Sherlock Jr
  • 15 मई: Steamboat Bill Jr
  • 16 मई: Our Hospitality
  • 17 मई: Cops, Play House
  • 18 मई: The General

कीटन की फिल्मों की ख़ास बात यह है कि उनमें जोखिम भरे स्टंट, बारीकी से रची गई दृश्य योजना और भावों की गहराई इतनी सटीक होती थी कि हर दृश्य कविता की तरह लगता था। ‘द जेनरल’ जैसी फ़िल्म, जो अब विश्व की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में गिनी जाती है, कभी अपने समय में असफल मानी गई थी। यही विडंबना कीटन की विरासत का हिस्सा बन गई।

आज जब फिल्मों में प्रभावों की भरमार है, बस्टर कीटन का सिनेमा हमें यह याद दिलाता है कि सादगी, मौलिकता और सच्चाई ही सबसे प्रभावशाली तत्व होते हैं। यह उत्सव न केवल एक महान कलाकार को श्रद्धांजलि है, बल्कि नई पीढ़ी के फ़िल्मकारों और दर्शकों के लिए सीख का मंच भी है।

 

रिपोर्ट: अनिरुद्ध नारायण

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