राजनीति के बदलते चेहरे को उजागर करती फिल्में
आज के समय में जब राजनीतिक परिस्थितियां लगातार बदल रही हैं, तब आम आदमी की राजनीति में दिलचस्पी घटती जा रही है। लोग अक्सर कहते हैं, “हमें इससे क्या लेना,”…
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आज के समय में जब राजनीतिक परिस्थितियां लगातार बदल रही हैं, तब आम आदमी की राजनीति में दिलचस्पी घटती जा रही है। लोग अक्सर कहते हैं, “हमें इससे क्या लेना,”…
मशहूर अंग्रेजी उपन्यासकार आगाथा क्रिस्टी की जानी-मानी ‘व्होडनिट’ शैली में रची गई कहानियों पर आधारित फिल्में दर्शकों के दिलों में खास जगह रखती हैं। उनके जासूस हरक्यूल पोयरोट पर आधारित…
रोहित शेट्टी की ‘सिंघम अगेन’ को एक बेहतरीन मसाला फिल्म के रूप में पेश करने की कोशिश की गई है, लेकिन यह फिल्म अपने पुराने ढर्रे से बाहर नहीं निकल…
दार्शनिक जीन बौद्रिलार (1929-2007) की विचारधारा आधुनिक युग के तकनीकी और सांस्कृतिक बदलावों में एक गहरा प्रभाव छोड़ती है। उनके सिद्धांत, विशेषकर हाइपररियलिटी और ‘सिमुलाक्रा’, आज के तकनीकी-प्रभावित जीवन में…
फ्रेंच फिल्मकार जीन रेनोइर की मशहूर फिल्म ‘द रिवर’ (1951) ने बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर को बखूबी प्रस्तुत किया है। फिल्म में दिवाली की रोशनी और काली पूजा की आध्यात्मिकता…
जालंधर की रचेल गुप्ता ने रचा इतिहास, मिस ग्रैंड इंटरनेशनल 2024 की विजेता बनीं पंजाब की 20 वर्षीय रचेल गुप्ता ने शुक्रवार को बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित मिस ग्रैंड इंटरनेशनल…
मुंबई मामी फिल्म फेस्टिवल 2024 में प्रदर्शित अरन्या सहाय की डॉक्यूमेंट्री ‘ह्यूमन्स इन द लूप’ ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। यह डॉक्यूमेंट्री आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और पारंपरिक मानव ज्ञान…
मुम्बई मामी मुम्बई फिल्म फेस्टिवल 2024 का समापन गुरुवार को भव्य पुरस्कार समारोह के साथ हुआ, जिसमें फिल्मकार अमित दत्ता की फ़िल्म (Rhythm of a Flower) को सर्वोच्च सम्मान स्वर्ण…
ब्रिटिश-भारतीय लेखक-निर्देशक संध्या सूरी की फिल्म ‘संतोष’ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तो तारीफें बटोरी हैं, लेकिन भारतीय दर्शकों के लिए इसमें कुछ भी नया नहीं है। इस फिल्म का हाल…
1953 में प्रदर्शित फिल्म “आई विटेलोनी” फेडेरिको फेलिनी की दूसरी फीचर फिल्म है, जो नियो-यथार्थवादी सिनेमैटोग्राफी, सामाजिक व्यंग्य और पात्र कॉमेडी का बेहतरीन मिश्रण प्रस्तुत करती है। फेलिनी ने इस…