“द डिप्लोमैट” : भारत की कूटनीतिक ताकत का शानदार चित्रण

 16 मार्च – सिनेमाघरों में हाल ही में रिलीज हुई जॉन अब्राहम स्टारर द डिप्लोमैट भारतीय कूटनीति की प्रभावशीलता को बड़े पर्दे पर दर्शाने में सफल रही है। फिल्म की कहानी उस समय की एक वास्तविक घटना पर आधारित है, जब भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान में भारतीय राजनयिक जे.पी. सिंह ने एक भारतीय नागरिक की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की थी।

कहानी:

फिल्म की कहानी एक भारतीय युवती उज़्मा सईद की है, जो पड़ोसी देश में फंस जाती है। इस मुश्किल हालात में भारत की कूटनीतिक शक्ति और मानवीय संवेदनाएं किस तरह उसकी वापसी सुनिश्चित करती हैं, यही फिल्म का मुख्य आधार है।

निर्देशन और पटकथा:

निर्देशक शिवम नायर, जो पहले स्पेशल ऑप्स और नाम शबाना जैसी फिल्मों से अपनी काबिलियत साबित कर चुके हैं, इस बार भी एक बेहतरीन राजनीतिक थ्रिलर लेकर आए हैं। फिल्म की पटकथा चुस्त-दुरुस्त है और इसमें अनावश्यक ड्रामे की कोई जगह नहीं है। कहानी सीधे अपने मुद्दे पर रहती है और दर्शकों को शुरू से अंत तक बांधे रखती है।

अभिनय:

जॉन अब्राहम ने डिप्लोमैट जे.पी. सिंह के किरदार को बखूबी निभाया है। यह भूमिका उनके स्वाभाविक अभिनय अंदाज के अनुरूप थी, जिससे उनका प्रदर्शन प्रभावी बन पड़ा है। सादिया खतीब, जो उज़्मा के किरदार में हैं, ने अच्छा काम किया है, हालांकि कहीं-कहीं उनके दर्द और संघर्ष से दर्शकों का जुड़ाव थोड़ा कमजोर पड़ जाता है।

शरीब हाशमी और कुमुद मिश्रा ने कम स्क्रीन टाइम के बावजूद शानदार अभिनय किया है। जगजीत संधू, जो फिल्म में एक खलनायक की भूमिका में हैं, अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को वाकई उनकी भूमिका से नफरत करने पर मजबूर कर देते हैं। वहीं, रेवती ने सुषमा स्वराज के किरदार में अच्छा प्रभाव छोड़ा है।

फिल्म क्यों देखें?

द डिप्लोमैट भारतीय कूटनीति की ताकत को उजागर करने वाली फिल्म है, जिसमें दिखाया गया है कि अंतरराष्ट्रीय संकटों को सुलझाने में भारत की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। फिल्म बिना किसी अतिशयोक्ति या अति-राष्ट्रवाद के भारतीय नेतृत्व की बुद्धिमत्ता, सूझबूझ और देशभक्ति को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है।

अगर आप भारतीय कूटनीति की वास्तविक शक्ति को बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए है। सिनेमाघरों में देखने का समय न हो तो इसके ओटीटी रिलीज का इंतजार किया जा सकता है।

रेटिंग: 7/10

 

रिपोर्ट: अनिरुद्ध नारायण

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