प्रचार के अंतिम दिन नेताओं ने की जीत की आखिरी कोशिश

चंडीगढ़

हरियाणा विधानसभा चुनाव का शोरगुल शुक्रवार शाम 6 बजे थम गया, जहां प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर अब मतदाता 5 अक्टूबर को मतदान करेंगे। सभी प्रमुख दलों ने अंतिम समय तक पूरी ताकत झोंकी, ताकि अपने-अपने उम्मीदवारों को जीत दिला सकें। अब नतीजों का इंतजार है, जो 8 अक्टूबर को मतगणना के बाद सामने आएंगे। इसी दिन यह तय होगा कि हरियाणा में अगले पांच सालों तक किस पार्टी का शासन रहेगा।

भाजपा की नजर तीसरी बार सरकार बनाने पर
इस बार के चुनाव में भाजपा अपनी तीसरी बार सरकार बनाने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में पार्टी सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। वहीं, कांग्रेस अपने 10 साल के चुनावी सूखे को खत्म करने के लिए मैदान में है। कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं के जरिए चुनाव प्रचार को मजबूती से आगे बढ़ाया, लेकिन मुकाबला कड़ा है। इस चुनाव में 1,000 से ज्यादा उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, और जनता की नजरें दोनों ही प्रमुख दलों पर टिकी हुई हैं।

गठबंधनों ने भी भरी ताल, दुष्यंत और मायावती का गठजोड़ अहम
इस बार चुनाव में गठबंधन की राजनीति भी प्रमुख भूमिका निभा रही है। दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (एएसपी) के साथ मिलकर 90 सीटों में से 70 पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, एएसपी 20 सीटों पर चुनावी मैदान में है। दूसरी ओर, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का गठबंधन भी 53 और 37 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। ऐसे में यह गठबंधन चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।

आप और निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में
आम आदमी पार्टी (आप) भी हरियाणा की सभी 90 सीटों पर ताल ठोक रही है, जो भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला बना रही है। इसके अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, जो चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

बड़े और छोटे मतदाता क्षेत्रों का चुनावी समीकरण
हरियाणा में बादशाहपुर विधानसभा सीट सबसे बड़ी है, जहां 5.2 लाख मतदाता अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे। दूसरी ओर, नारनौल सबसे छोटी विधानसभा सीट है, जहां सिर्फ 1.6 लाख मतदाता हैं। साल 2019 में नारनौल में 98,894 वैध मतों का रिकॉर्ड था, जो इस बार के चुनाव में बढ़ सकता है।

अब सभी की निगाहें 5 अक्टूबर के मतदान पर हैं, जहां मतदाता यह तय करेंगे कि हरियाणा की सत्ता किसके हाथों में होगी। 8 अक्टूबर को परिणाम सामने आएंगे, जो हरियाणा की राजनीतिक दिशा को निर्धारित करेंगे।

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