लोको पायलटों के कार्य वातावरण में बड़ा सुधार, सुविधाओं में आई क्रांतिकारी बढ़ोतरी

नई दिल्ली, 18 अप्रैल।
भारतीय रेल में लोको पायलटों की भूमिका को देखते हुए पिछले एक दशक में उनके कार्य माहौल को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की गई हैं। नतीजतन, अब लोको पायलटों को न केवल आरामदायक रनिंग रूम मिल रहे हैं, बल्कि आधुनिक सुविधाओं से लैस इंजन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2014 से पहले देशभर में कोई भी रनिंग रूम वातानुकूलित नहीं था। लेकिन बीते 10 वर्षों में सभी रनिंग रूम को न केवल एयर-कंडीशनिंग सुविधा दी गई है, बल्कि उन्हें बेहतर आरामदायक सुविधाओं से भी सुसज्जित किया गया है।

इसी तरह, लोको केबिनों को भी अत्याधुनिक बनाया गया है। अब आधे से अधिक लोको केबिनों में एर्गोनॉमिक सीटें, वातानुकूलन और अन्य जरूरी सुधार किए गए हैं। 2014 से पहले एक भी लोको केबिन में एयर-कंडीशनिंग की सुविधा नहीं थी।

रेल मंत्रालय ने लोको पायलटों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक और बड़ा कदम उठाया है — अब सभी नए लोकोमोटिव्स में शौचालय अनिवार्य रूप से लगाए जा रहे हैं। पुराने इंजनों में भी रेट्रोफिटिंग कर शौचालय जोड़ने का कार्य किया जा रहा है, जिसके लिए विशेष डिज़ाइन परिवर्तन किए गए हैं।

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि जिन मार्गों पर भारी यातायात रहता है, वहाँ नए रनिंग रूम बनाए गए हैं। इससे लोको पायलटों के कार्य घंटों में उल्लेखनीय कमी आई है और उन्हें पर्याप्त विश्राम का समय मिल रहा है।

कोहरे के मौसम में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फॉग सेफ्टी उपकरण, ड्राइवर अलर्ट सिस्टम, “कवच” तकनीक और बेहतर ब्रेकिंग सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल शुरू हुआ है। इससे न केवल रेल यात्रियों की सुरक्षा में इजाफा हुआ है, बल्कि लोको पायलटों के कार्य में भी काफी सुविधा बढ़ी है।

मालगाड़ी, उपनगरीय रेल और मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के लोको पायलटों के लिए भी शौचालय ब्रेक और स्नैक्स के लिए समुचित व्यवस्थाएँ की गई हैं। मालगाड़ियाँ यार्डों और स्टेशनों पर रुकती हैं, जिससे पायलटों को शौचालय उपयोग और नाश्ते के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। वहीं, मेट्रो और सबअर्बन ट्रेन संचालकों को टर्मिनल स्टेशनों पर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

पैसेंजर ट्रेनों के लोको पायलट भी स्टेशनों पर ट्रेन खड़ी रहने के दौरान ट्रेन या स्टेशन के शौचालय का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस दौरान उन्हें स्नैक्स के लिए भी समय मिलता है। रेलवे प्रबंधन ने वॉकी-टॉकी जैसी संचार सुविधाओं से भी लोको पायलटों को लैस किया है, जिससे वे स्टेशन स्टाफ से तत्काल संपर्क कर सकते हैं।

रेलवे अधिकारियों ने कहा कि इन तमाम प्रयासों से लोको पायलटों के कार्यस्थल में न केवल सुविधाएँ बढ़ी हैं, बल्कि उनका कार्यदबाव भी कम हुआ है, जिससे रेलवे संचालन और सुरक्षा दोनों में बड़ा सुधार आया है।

 

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