नई दिल्ली

लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के भीतर खींचतान और मतभेद अब सार्वजनिक हो चुके हैं। एलजेपी नेता चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के एनडीए से अलग होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पारस का एनडीए में रहना केवल औपचारिकता थी।

चिराग ने स्पष्ट किया कि पारस कभी भी एनडीए की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध नहीं थे। उनका यह बयान पारस के एनडीए से अलग होने और अलग गुट बनाने के फैसले के बाद आया है।

पार्टी में लंबे समय से चल रहे थे मतभेद
चिराग पासवान ने कहा कि उनके और पारस के बीच मतभेद कोई नई बात नहीं है। पारस लंबे समय से पार्टी की विचारधारा और गठबंधन की नीतियों से अलग काम कर रहे थे। उनका एनडीए से बाहर होना महज एक औपचारिक कदम था।

एलजेपी में बढ़ता आंतरिक तनाव
एलजेपी के इन दो गुटों के बीच की दूरी पार्टी समर्थकों के लिए भी असमंजस का कारण बन रही है। पार्टी के भविष्य और बिहार की राजनीति में उसकी भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। चिराग ने हालांकि जोर दिया कि वह पार्टी के मूल सिद्धांतों के प्रति अडिग हैं और अपनी नीतियों से समझौता नहीं करेंगे।

एनडीए को होगा असर?
पशुपति पारस के इस कदम से न केवल एलजेपी बल्कि एनडीए पर भी असर पड़ सकता है। बिहार की राजनीति में पारस एक अहम चेहरा रहे हैं, और उनका अलग होना गठबंधन की ताकत को कमजोर कर सकता है। एनडीए पहले से ही कई आंतरिक चुनौतियों का सामना कर रहा है।

बिहार के विकास पर रहेगा फोकस
चिराग पासवान ने कहा कि उनका ध्यान बिहार के विकास और राज्य के लोगों की समस्याओं को उठाने पर है। उन्होंने वादा किया कि एलजेपी अपने सिद्धांतों और जनता के हितों के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी।

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