रेल संरक्षा में एक और मील का पत्थर: मालदा मंडल ने किए दो एलएचएस का सफल निर्माण
गुमानी सेक्शन में तिलडांगा–बोंनिडांगा के बीच समपार फाटकों की जगह बने सीमित ऊँचाई सबवे
टाइम्स वायर | कोलकाता | 19 मई
पूर्व रेलवे के मालदा मंडल ने अधोसंरचना क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए गुमानी सेक्शन में दो सीमित ऊँचाई वाले सबवे (LHS) का सफल निर्माण कार्य पूरा किया है। इन सबवे का निर्माण पुराने समपार फाटकों के स्थान पर किया गया है, जिससे अब रेल–सड़क यातायात पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और सुचारू हो सकेगा।
18 मई को इंजीनियरिंग विभाग के पर्यवेक्षण में यह कार्य संपन्न हुआ। पहला सबवे तिलडांगा और बोंनिडांगा स्टेशनों के बीच फाटक संख्या 61 पर, जबकि दूसरा सबवे इसी सेक्शन के भीतर फाटक संख्या 63 पर स्थापित किया गया। दोनों LHS में कुल 10-10 बॉक्स खंड (6 मीटर x 4.65 मीटर प्रत्येक) लगाए गए हैं।
7 घंटे में बदली अधोसंरचना की तस्वीर
निर्माण कार्य के लिए अप और डाउन दोनों लाइनों पर कुल 7 घंटे का ट्रैफिक ब्लॉक लिया गया, जिसे तय समय के भीतर पूरी कुशलता से पूरा कर लिया गया। इसी अवधि में इंजीनियरिंग विभाग ने रेलवे ट्रैक व संरचनाओं से जुड़े अन्य जरूरी अनुरक्षण कार्य भी किए।
इनमें मालदा टाउन स्टेशन पर दो टर्नआउट स्विचों को बदला गया, चामाग्राम में दो वेल्डिंग जॉइंट्स का काम हुआ और पॉइंट टैम्पिंग मशीन से 200 मीटर ट्रैक का उन्नयन किया गया। साथ ही न्यू फरक्का से तिलडांगा के बीच CSM मशीन द्वारा 5800 मीटर ट्रैक की टैम्पिंग भी पूरी की गई। बोंनिडांगा और न्यू फरक्का स्टेशनों पर कुल 19 वेल्डिंग कार्य किए गए।
ब्रिज की मरम्मत भी बनी उपलब्धि
ब्रिज नंबर 383 डी के अप लाइन स्पैन (3×76.2 मीटर) पर टॉप कॉर्ड पेंटिंग का कार्य भी इस दौरान संपन्न किया गया। यह कार्य संरचनात्मक मजबूती की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है।
टेक्नोलॉजी और टीम वर्क का बेहतर समन्वय
इस अधोसंरचना परियोजना में तकनीकी दक्षता, टीम भावना और बेहतर योजना की मिसाल पेश करते हुए विभाग ने यह सिद्ध कर दिया कि सीमित समय में भी उच्च गुणवत्ता वाले कार्य संभव हैं।
एलएचएस के निर्माण से जहां सड़क पर आवागमन अधिक सुरक्षित बनेगा, वहीं रेलवे संरक्षा को भी नई मजबूती मिलेगी।
मालदा मंडल की यह पहल भविष्य की अन्य रेलवे परियोजनाओं के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बनकर उभरी है।