सिनेमा इतिहास की अनमोल कृतियों में शामिल 1945 की अमेरिकी फिल्म ‘स्कार्लेट स्ट्रीट’ आज भी दर्शकों को अपने अप्रत्याशित कथानक और गहरी सिनेमाई शैली से आकर्षित करती है। दिग्गज निर्देशक फ्रिट्ज लैंग की इस फिल्म में जर्मन एक्सप्रेशनिज्म के तत्वों और 1940 के दशक के अमेरिकी फिल्म नोयर शैली का उत्कृष्ट मिश्रण देखने को मिलता है। लगभग 80 साल पहले बनी यह फिल्म आज भी सिनेमाई कला की ऊंचाइयों और उस समय के सेंसरशिप को चुनौती देने वाली कहानी प्रस्तुत करती है।

कहानी का सार: धोखा, प्रेम और त्रासदी का मेल

फिल्म की कहानी 1934 में सेट की गई है, जहां मुख्य पात्र क्रिस क्रॉस एक साधारण बैंक कर्मचारी है। 25 साल की नौकरी और अपनी कड़वी पत्नी के साथ जीते हुए उसने अपने जीवन के सपनों को त्याग दिया है। क्रिस सप्ताहांत में ही अपनी कला—पेंटिंग में शांति खोजता है।

एक बरसात की रात, क्रिस एक खूबसूरत युवती किटी को सड़क पर एक हमलावर से बचाता है। जल्द ही दोनों के बीच रिश्ता बनता है, लेकिन इस रिश्ते की नींव झूठ पर टिकी होती है। किटी, जो पहले से ही अपने चालाक प्रेमी के इशारों पर चल रही होती है, क्रिस को एक अमीर और सफल कलाकार मानती है। क्रिस, अपने झूठ और प्रेम के चक्कर में, किटी के खर्चों को पूरा करने के लिए चोरी करने लगता है।

इस बीच, क्रिस की बनाई पेंटिंग्स को अप्रत्याशित सफलता मिलने लगती है, लेकिन यह सफलता उसकी निजी समस्याओं को और गहराई में धकेल देती है। झूठ, धोखे और अंधे प्रेम की यह कहानी एक त्रासद अंत की ओर बढ़ती है।

एडवर्ड जी. रॉबिन्सन का दमदार अभिनय

यह फिल्म मुख्य रूप से एडवर्ड जी. रॉबिन्सन के बेहतरीन अभिनय के लिए जानी जाती है। एक गैंगस्टर या जासूस जैसे उनके आम किरदारों के विपरीत, इस फिल्म में वे एक ऐसे साधारण व्यक्ति का किरदार निभाते हैं, जो प्रेम में अंधा होकर गलत फैसले लेता है। उनकी संवेदनशीलता और गहराई से दर्शक क्रिस के प्रति सहानुभूति महसूस करते हैं, भले ही वह त्रुटिपूर्ण इंसान हो।

सिनेमैटोग्राफी और निर्देशन का अनोखा समागम

फ्रिट्ज लैंग और सिनेमेटोग्राफर मिल्टन आर. क्रास्नर ने इस फिल्म में अंदरूनी दृश्यों को लंबे साए और अधखुले दरवाजों की गहराई से फिल्माया है। बाहरी दृश्यों में न्यूयॉर्क की सड़कों, बारिश और ग्रीनविच विलेज के आर्ट मार्केट्स का प्रामाणिक चित्रण मिलता है। 15 साल पहले की न्यूयॉर्क की झलकियाँ और फ्रेंच न्यू वेव जैसी सिनेमाई तकनीकें इस फिल्म को और भी खास बनाती हैं।

एक क्लासिक के रूप में ‘स्कार्लेट स्ट्रीट’

यह फिल्म 1931 की फ्रेंच फिल्म ‘ला शिएन’ का अमेरिकी रूपांतरण है, लेकिन अपनी मौलिकता के कारण यह स्वतंत्र रूप से सराही जाती है। कला, प्रेम, और त्रासदी का यह चित्रण न केवल क्लासिक फिल्म प्रेमियों को बल्कि सिनेमा के विद्यार्थियों को भी आकर्षित करता है।

‘स्कार्लेट स्ट्रीट’ सिनेमा के इतिहास का ऐसा अध्याय है, जो बार-बार देखने योग्य है।

रिपोर्ट: अंशु कुमार
(मीडिया छात्र, पटना)

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