वक्फ संशोधन बिल पर AIMPLB की आपत्ति,

सांसदों से विरोध करने की अपील

नई दिल्ली। अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने लोकसभा में पेश होने जा रहे वक्फ (संशोधन) बिल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सभी धर्मनिरपेक्ष दलों और भाजपा सहयोगी दलों से इसका विरोध करने की अपील की है। बोर्ड ने कहा है कि यह बिल संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करता है और मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है।

AIMPLB ने बताया सांप्रदायिक एजेंडा
बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बयान जारी कर कहा कि सभी सांसदों को न केवल इस बिल का विरोध करना चाहिए बल्कि इसके खिलाफ मतदान भी करना चाहिए। उन्होंने इसे भाजपा का “सांप्रदायिक एजेंडा” करार दिया और कहा कि इस कानून के माध्यम से वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

रहमानी ने कहा, “वक्फ कानूनों को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है, जिससे वक्फ संपत्तियों को जब्त करने और नष्ट करने का रास्ता साफ होगा। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट होने के बावजूद हर मस्जिद में मंदिर खोजने की कोशिशें बढ़ रही हैं। अगर यह संशोधन पारित हो जाता है, तो सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे के दावे बढ़ जाएंगे।”

लोकसभा में होगा आठ घंटे का विचार-विमर्श
इस बीच, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि लोकसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) ने बिल पर आठ घंटे की चर्चा को मंजूरी दी है। हालांकि, विपक्ष ने अधिक समय की मांग की थी और कई अन्य मुद्दों, जैसे मणिपुर संकट और मतदाता पहचान पत्र विवाद पर चर्चा की आवश्यकता जताई थी।

कांग्रेस के लोकसभा उपनेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। इस पर रिजिजू ने कहा कि विभिन्न दलों ने चार से छह घंटे तक की चर्चा का सुझाव दिया था, लेकिन विपक्ष ने बारह घंटे की मांग रखी थी। अगर जरूरत पड़ी तो चर्चा की अवधि बढ़ाई जा सकती है।

क्या है वक्फ संशोधन बिल?
वक्फ (संशोधन) बिल को अगस्त 2024 में लोकसभा में पेश किया गया था। इसमें 40 संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं, जिनमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था शामिल है। इसके अलावा, वक्फ बोर्डों के प्रबंधन और नियमन में सुधार के प्रावधान भी किए गए हैं।

सरकार का कहना है कि यह विधेयक पुराने और जटिल वक्फ प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए लाया गया है, जिसे 2006 में आई राजिंदर सच्चर कमेटी की सिफारिशों के अनुसार तैयार किया गया है। वहीं, विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है और इसे और अधिक जांच की जरूरत है।

संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा समीक्षा किए जाने के बाद, इस विधेयक में कई संशोधन जोड़े गए और इसे “यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट” नाम देने की सिफारिश की गई।

 

 

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